Amarnath Yatra 2025 Travel Guide; Route Map – Tour Package | Security Arrangement | अमरनाथ यात्रा कल से, जानिए कैसे जाएं: रजिस्ट्रेशन, कहां ठहरें और कितना खर्च, पहलगाम अटैक के बाद कितना सुरक्षित है रास्ता


‘इस साल अमरनाथ यात्रा के लिए पिछले साल से काफी कम रजिस्ट्रेशन हुए हैं। पहलगाम में आतंकी हमले के बाद से यहां आने वाले लोग अपनी सुरक्षा को लेकर बहुत डरे हुए हैं। उत्तराखंड में हुए हेलिकॉप्टर हादसों ने भी लोगों के मन में डर पैदा कर दिया है।‘

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राकेश कौल जम्मू-कश्मीर में सोशल एक्टिविस्ट हैं। इस साल वो भी अमरनाथ यात्रा पर जा रहे हैं। 22 अप्रैल को हुए पहलगाम हमले के बाद राकेश अपनी सेफ्टी को लेकर थोड़े फिक्रमंद हैं, लेकिन उन्हें प्रशासन के सुरक्षा इंतजामों पर भरोसा भी है।

अमरनाथ यात्रा 3 जुलाई से शुरू हो रही है। 38 दिन की यात्रा 9 अगस्त यानी रक्षाबंधन तक चलेगी। अमरनाथ गुफा तक पहुंचने के लिए दो रूट हैं। एक पहलगाम बेस कैंप से और दूसरा बालटाल बेस कैंप से जाता है।

जम्मू से पहला जत्था 2 जुलाई यानी आज निकल रहा है। 3 जुलाई को जत्थे पहलगाम और बालटाल से बाबा बर्फानी के दर्शन के लिए यात्रा शुरू करेंगे।

पिछले साल 5 लाख से ज्यादा श्रद्धालु अमरनाथ यात्रा पर पहुंचे थे। हालांकि, इस साल अब तक सिर्फ साढ़े 3 लाख लोगों ने ही रजिस्ट्रेशन कराया है।

आप भी अमरनाथ यात्रा पर जाना चाहते हैं और मन में कई सवाल उठ रहे हैं, जैसे- यात्रा कैसे और कहां से शुरू करें, कितने दिन की छुट्टी लें, कहां से बुकिंग करें, यात्रा के लिए रूट क्या होगा, वहां रुकने के इंतजाम और टोटल कितना खर्च होगा? सुरक्षा के क्या इंतजाम होंगे?

अमरनाथ यात्रा शुरू होने से पहले हम जम्मू-कश्मीर पहुंचे। हमने रजिस्ट्रेशन से लेकर रुकने तक के इंतजाम देखे। यात्रा को लेकर हमने कश्मीर के टूर एंड ट्रैवल्स ऑपरेटर्स और सुरक्षा से लेकर तमाम इंतजाम देख रहे अफसरों से भी बात की। अमरनाथ यात्रा से जुड़े अपने सभी सवालों के जवाब के लिए पूरी खबर पढ़िए…

सबसे पहले अमरनाथ यात्रा के दोनों रूट जान लीजिए अमरनाथ गुफा तक पहुंचने के दो रास्ते हैं। एक रास्ता पहलगाम से शुरू होता है और दूसरा बालटाल से। इनकी अपनी खासियतें और चुनौतियां हैं।

पहलगाम वाला रूट 48 किलोमीटर का है। इसमें चढ़ाई कम है इसलिए इसे आसान माना जाता है। हालांकि, ये रूट लंबा है और इससे यात्रा करने में 3 से 5 दिन लग जाते हैं। ये पारंपरिक रूट है। सबसे ज्यादा भीड़ इसी रूट पर रहती है।

दूसरा रूट श्रीनगर से 95 किमी दूर बालटाल से शुरू होता है। इस रूट पर सिर्फ 14 किमी की चढ़ाई तय कर श्रद्धालु गुफा तक पहुंच जाते हैं। यात्रा में 1 से 2 दिन लगते हैं। ये रास्ता छोटा जरूर है, लेकिन खड़ी चढ़ाई होने की वजह से जोखिम भरा माना जाता है।

यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन जरूरी यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन अनिवार्य है। ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरह से रजिस्ट्रेशन हो रहे हैं। रजिस्ट्रेशन के लिए क्या प्रोसेस है, पहले वो समझ लेते हैं…

ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन ये आसान और सुविधाजनक तरीका है। इसे श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड (SASB) की ऑफिशियल वेबसाइट jksasb.nic.in से किया जा सकता है। रजिस्ट्रेशन 14 अप्रैल 2025 से हो रहे हैं। एक दिन में 15,000 रजिस्ट्रेशन हो सकते हैं।

रजिस्ट्रेशन से पहले आपको यात्रा का कोई एक रूट चुनना होगा। इसके अलावा ID कार्ड जैसे-आधार, पासपोर्ट, वोटर ID या पैन कार्ड, पासपोर्ट साइज फोटो और कम्पल्सरी हेल्थ सर्टिफिकेट (CHC) देना जरूरी है। हेल्थ सर्टिफिकेट 8 अप्रैल 2025 या उसके बाद जारी हो।

रजिस्ट्रेशन के बाद जम्मू या कश्मीर में बने सेंटर्स से RFID कार्ड लेना होगा, जिसके लिए बायोमेट्रिक eKYC वेरिफिकेशन होगा। इस कार्ड के बिना एक्सेस कंट्रोल गेट्स से नहीं गुजर सकते।

ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन श्रद्धालुओं के पास ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन का भी विकल्प है। 30 जून से ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन शुरू हो गए हैं। इसके लिए देशभर में 533 से ज्यादा बैंक शाखाएं तय की गई हैं। इनमें पंजाब नेशनल बैंक, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, जम्मू-कश्मीर बैंक और यस बैंक की शाखाएं शामिल हैं।

जम्मू पहुंचकर भी ऑफलाइन टोकन लिया जा सकता है। जम्मू में कुल 4 जगहों पर तत्काल रजिस्ट्रेशन काउंटर बनाए गए हैं। इनमें रेलवे स्टेशन के पास, सरस्वती धाम, वैष्णवी धाम और पंचायत भवन महाजन शामिल हैं। भगवती नगर बेस कैंप में सिर्फ साधु-संतों के लिए स्पेशल रजिस्ट्रेशन सेंटर है।

ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन के लिए भी वही डॉक्यूमेंट्स लगेंगे, जो ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन में लगते हैं। जम्मू में टोकन लेने के बाद तय सेंटर पर मेडिकल सर्टिफिकेट और बाकी डॉक्यूमेंट्स जमा कर रजिस्ट्रेशन प्रोसेस पूरा किया जा सकता है।

भारतीय नागरिकों के लिए ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन फीस प्रति व्यक्ति 120 रुपए और ऑनलाइन की फीस प्रति व्यक्ति 220 रुपए है। रजिस्ट्रेशन के बाद जम्मू आने वाले श्रद्धालु भगवती नगर बेस कैंप से जत्थों के साथ तय रूट के लिए निकल सकेंगे। फिर 3 जुलाई को अमरनाथ गुफा के लिए ट्रैकिंग शुरू करेंगे।

यात्रा में कितना खर्च होगा और रहने के क्या इंतजाम अगर आप दिल्ली से सफर शुरू कर रहे हैं और 14 किलोमीटर वाले बालटाल रूट से अमरनाथ यात्रा कर रहे हैं। तब कुल खर्च 15 से 20 हजार रुपए प्रति व्यक्ति आ सकता है। 48 किलोमीटर वाले पहलगाम रूट पर सफर लंबा है। इसलिए इस रूट से यात्रा करने पर 20 से 25 हजार रुपए तक का खर्च आ सकता है।

इसमें दिल्ली से बालटाल या पहलगाम पहुंचने, होटल में रुकने और खाने पीने का खर्च शामिल है। इसके अलावा गुफा तक ट्रैकिंग के दौरान पालकी या पोनी लेने का खर्च अलग से देना होगा। पोनी या पालकी के लिए आपको 2,000 से 5,000 रुपए तक खर्च करने पड़ सकते हैं।

पहलगाम और बालटाल में ठहरने के लिए श्राइन बोर्ड ने टेंट की व्यवस्था कर रखी है। इसका किराया 500 रुपए से शुरू होता है, जबकि लंगरों में खाना फ्री है।

अगर आप यात्रा की डेट से पहले पहुंच रहे हैं तो जम्मू या श्रीनगर में होटल लेकर रुक सकते हैं क्योंकि बेस कैंप में आपको तय डेट पर ही एंट्री मिलेगी।

139 लंगरों में तीर्थयात्रियों को मिलेगा मुफ्त खाना इस साल जम्मू-कश्मीर के एंट्री गेट लखनपुर से लेकर अमरनाथ गुफा तक करीब 139 लंगर बनाए गए हैं। इन लंगरों में तीर्थयात्रियों को मुफ्त में खाना मिलेगा। पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों के लंगर संगठन इस बार रसोई बना रहे हैं।

इसके अलावा जम्मू के भगवती नगर बेस कैंप में 5 लंगर, जम्मू-पठानकोट और जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्गों पर लगभग 50 लंगर होंगे। श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड ने लंगर संगठनों के लिए खाने का मेन्यू भी तय किया है।

पहलगाम हमले के बाद रजिस्ट्रेशन की संख्या घटी यात्रा के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन 14 अप्रैल 2025 से शुरू हुआ। शुरू के 6 दिनों में ही 2.36 लाख लोगों ने रजिस्ट्रेशन करा लिया था। 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम हमले के बाद रजिस्ट्रेशन की रफ्तार घट गई। उसके बाद 30 जून तक 3.50 लाख लोगों ने ही रजिस्ट्रेशन कराया है।

2024 में 5.12 लाख श्रद्धालुओं ने यात्रा की थी। पिछले 12 साल में ये संख्या सबसे ज्यादा थी। इस साल 20% कम रजिस्ट्रेशन हुआ है। वहीं, जिन 2.36 लाख लोगों ने 22 अप्रैल से पहले रजिस्ट्रेशन कराया था, उनमें से अब तक सिर्फ 85,000 लोगों ने यात्रा की प्रॉसेस पूरी की है।

सोशल एक्टिविस्ट राजेश कौल बताते हैं कि पहलगाम हमले की वजह से लोग डर रहे हैं। हालांकि, यात्रा के लिए पहलगाम रूट को वो आस्था के लिहाज से सबसे अहम बताते हैं। वे कहते हैं, ‘पहलगाम वाला रूट पारंपरिक और हजारों साल पुराना है।’

LG बोले- पहलगाम हमले ने रजिस्ट्रेशन पर असर डाला जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा भी यात्रा में घटी श्रद्धालुओं की संख्या को पहलगाम हमले का असर मानते हैं। वे कहते हैं, ‘पिछले साल 5.12 लाख से ज्यादा तीर्थयात्रियों ने रिकॉर्ड तोड़ा था। इस साल पहलगाम आतंकी हमले के बाद रजिस्ट्रेशन में कमी आई है। इसमें कोई शक नहीं कि आतंकी घटना ने जम्मू-कश्मीर का माहौल प्रभावित किया है।’

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हालांकि मुझे उम्मीद है कि यात्रा का सफल आयोजन लोगों का भरोसा बहाल करेगा और हालात सुधरेंगे। हमने सुरक्षा के लिहाज से मल्टी-लेयर सिक्योरिटी के इंतजाम किए हैं। इसमें जम्मू-कश्मीर पुलिस, केंद्रीय अर्धसैनिक बल और सेना मिलकर काम कर रहे हैं।

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फेशियल रिकग्निशन सिस्टम, भगदड़ से निपटने का भी इंतजाम यात्रा में सुरक्षा की जिम्मेदारी कश्मीर जोन के IG वीके बिरधी संभाल रहे हैं। वे भरोसा जताते हुए कहते हैं, ‘यात्रा के लिए मल्टी-लेयर सिक्योरिटी है। जम्मू-कश्मीर पुलिस, केंद्रीय अर्धसैनिक बल और सेना के अलावा अतिरिक्त सुरक्षा बलों की भी तैनाती की गई है।‘

गृह मंत्रालय ने यात्रा के रूट और आसपास के इलाकों की बड़े पैमाने पर अर्धसैनिक बलों की तैनाती मंजूर की है। जम्मू-कश्मीर प्रशासन और पुलिस को क्षेत्र में पहले से मौजूद 156 केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (CAPF) कंपनियों के इस्तेमाल की परमिशन दी गई है।

इस बार यात्रा में मॉडर्न तकनीक का भी इस्तेमाल किया जा रहा है। यात्रा के दौरान भगदड़ से बचने के लिए श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड ने RFID कार्ड को अनिवार्य किया है। इसके जरिए हर यात्री की गिनती और लोकेशन ट्रैक की जाती है।

IG बिरधी ने कहा, ‘हमने फेशियल रिकग्निशन सिस्टम और अन्य गैजेट्स का इस्तेमाल किया है। इसमें कानून तोड़ने वाले और शरारती तत्वों का डेटाबेस फीड है। अगर ऐसा कोई व्यक्ति यात्रा के दौरान कहीं दिखता है, तो सिस्टम तुरंत अलर्ट जारी करता है, ताकि उसे पकड़ सकें।‘

‘साथ ही हाई-राइज सर्विलांस सिस्टम और अन्य तकनीकी उपकरणों की मदद से पूरे इलाके पर कड़ी नजर रख रहे हैं। ताकि किसी भी खतरे का तुरंत जवाब दिया जा सके।‘

अमरनाथ यात्रा के रूट पर जगह-जगह ऐसे फेशियल रिकग्निशन सिस्टम लगाए गए हैं।

अमरनाथ यात्रा के रूट पर जगह-जगह ऐसे फेशियल रिकग्निशन सिस्टम लगाए गए हैं।

श्रद्धालुओं से निजी गाड़ियों से यात्रा न करने की अपील

जम्मू जोन के IG भीम सेन तूती ने बताया कि पहलगाम हमले के बाद सुरक्षा को और मजबूत किया गया है। उधमपुर में जैश-ए-मोहम्मद के आतंकियों के खिलाफ चल रहे अभियान से भी यात्रा मार्ग को सुरक्षित रखने में मदद मिल रही है।

IG बताते हैं, ‘इस बार 40,000 से ज्यादा जवान, हाई-डेफिनेशन CCTV कैमरे, चेहरा पहचानने वाला सिस्टम (FRS) और ड्रोन तैनात किए गए हैं। मेडिकल और आपदा प्रबंधन की सुविधाएं भी हर कदम पर मौजूद हैं।‘ उन्होंने यात्रियों से काफिले में यात्रा करने और निजी गाड़ियों का इस्तेमाल न करने की सलाह दी है।

वहीं, गांदरबल के SSP खलील पोसवाल यात्रियों से अपील करते हुए कहते हैं,

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सभी तय टाइमिंग का पालन करें। सुरक्षा नीतियों के अनुसार चलें। अकेले या एकांत में मूवमेंट करने से बचें। लोकल ड्राइवरों के कहने पर सुनसान रूट्स से न जाएं क्योंकि वहां जोखिम ज्यादा है

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SSP पोसवाल ने सुरक्षा कारणों से पर्यटकों को सिंध नदी के किनारे जाने से बचने की सलाह दी है।

अमरनाथ यात्रा के टूरिज्म पैकेज पर 50% की छूट अमरनाथ यात्रा के लिए जम्मू कश्मीर में टूरिज्म पैकेज भी हैं। राज्य टूरिज्म एसोसिएशन के पूर्व प्रेसिडेंट फारुख कुथु बताते हैं, ‘पहलगाम हमले के बाद काम हल्का है, इसलिए ज्यादातर पैकेज पर इस बार 50% तक छूट है।‘

‘हाई-एंड और मिडिल-सेगमेंट होटलों का बिजनेस कम हुआ है, क्योंकि ज्यादातर यात्री बजट होटल या टेंट में रुकते हैं। हम उम्मीद कर रहे थे कि इस बार रिकॉर्ड बनेगा, लेकिन दुर्भाग्य से ऐसा नहीं हुआ। हेलिकॉप्टर सेवाएं बंद होने से भी बुजुर्ग और अमीर वर्ग के यात्री कम आए हैं। ‘

मेक माय ड्रीम टूर एंड ट्रैवल चलाने वाले समीर बताते हैं, ‘अमरनाथ यात्रा के पैकेज में गाड़ी, होटल और खाना शामिल रहता है। जम्मू से 3-4 दिन का पैकेज प्रति व्यक्ति 17,000 रुपए से शुरू होता है, जो पहलगाम और बालटाल दोनों रूट के लिए एक जैसा है। यात्रियों को रजिस्ट्रेशन और मेडिकल सर्टिफिकेट खुद जमा करना होता है।‘

‘हेलिकॉप्टर सेवा ना लेने वालों को बेस कैंप में टेंट में रुकना पड़ता है, जबकि हेलिकॉप्टर से यात्रा करने वाले उसी दिन पहलगाम या सोनमर्ग में रात रुक सकते हैं। हालांकि, इस बार हेलिकॉप्टर की सेवा नहीं है।‘

तीर्थयात्री अपनी सेहत का खास ख्याल रखें यात्रा से पहले तीर्थयात्रियों को अपनी फिजिकल हेल्थ और मेंटल हेल्थ का ध्यान देना जरूरी है। अमरनाथ गुफा 3,888 मीटर की ऊंचाई पर है, जहां ऑक्सीजन लेवल कम हो जाता है। ठंड भी ज्यादा होती है। इसलिए यात्रा से 2-3 सप्ताह पहले से रोजाना 4-6 किमी पैदल चलें और प्राणायाम करें, ताकि सेहत दुरुस्त रहे।

वहीं सफर के लिए गर्म कपड़े जैसे- थर्मल इनर, जैकेट, दस्ताने, ट्रैकिंग वाले जूते, रेनकोट, टॉर्च और जरूरी दवाइयां साथ रखें। ऊंचाई पर होने वाली शारीरिक दिक्कतें जैसे- सिरदर्द, जी मचलने के लक्षण दिखने पर तुरंत मेडिकल हेल्प लें। यात्रा के रूट में हर 2 किमी पर मेडिकल सुविधाओं का इंतजाम किया गया है।

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अमरनाथ के लिए जम्मू में ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन शुरू

अमरनाथ यात्रा 3 जुलाई से शुरू होगी। इसके लिए सभी इंतजाम लगभग पूरे हो गए है। इस साल अब तक करीब 3.5 लाख श्रद्धालु रजिस्ट्रेशन करा चुके हैं। जिन श्रद्धालुओं ने अभी तक ऑनलाइन पंजीकरण नहीं कराया है, उनके लिए जम्मू में ऑफलाइन पंजीकरण सोमवार से शुरू हो गया है। हर सेंटर पर रोजाना सिर्फ दो हजार श्रद्धालुओं का ही रजिस्ट्रेशन किया जाएगा। पढ़िए पूरी खबर….

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