Asaram Bapu Empire Story; Ahmedabad Asharamji Ashram | Rape Case | आसाराम जेल में, 10 हजार करोड़ का साम्राज्य कायम: बेटी-पत्नी ट्रस्ट से बाहर, भक्त बोले- लोग हमारा मजाक उड़ाते थे


दुनियाभर में 450 आश्रम, 17 हजार से ज्यादा बाल संस्कार केंद्र और 40 से ज्यादा गुरुकुल, ये रेप केस में उम्रकैद की सजा काट रहे आसाराम बापू का साम्राज्य है। आसाराम भले 12 साल से जेल में है, लेकिन उसका करीब 10 हजार करोड़ का साम्राज्य अब भी पहले की तरह चल र

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19 अप्रैल को आसाराम के जन्मदिन पर उसके भक्तों ने अवतरण दिवस मनाया। आश्रम ने दावा किया कि इस कार्यक्रम में देशभर में 7 से 8 करोड़ भक्त शामिल हुए। आसाराम फिलहाल अंतरिम जमानत पर है। उसे पहले सुप्रीम कोर्ट से मेडिकल ग्राउंड पर 31 मार्च तक की पैरोल मिली, फिर जेल जाने से तीन दिन पहले गुजरात हाईकोर्ट से तीन महीने की अंतरिम जमानत मिल गई। आश्रम में उसकी सेहत के लिए अखंड जाप चल रहा है।

इस मौके पर दैनिक भास्कर अहमदाबाद में आसाराम ट्रस्ट के हेडक्वार्टर पहुंचा। ये हेडक्वार्टर मोटेरा में है। यहां हमें दो सवालों के जवाब तलाशने थे।

  1. आसाराम के न रहने पर ट्रस्ट-आश्रम का काम कैसे चल रहा है?
  2. आसाराम की फैमिली कहां है?

पहले पढ़िए आश्रम का हाल आसाराम की फोटो पूज रहे भक्त, भरोसा अब भी कायम 1970 के दशक में छोटी सी कुटिया से शुरू हुआ मोटेरा आश्रम आज 200 एकड़ में फैला है। देशभर में होने वाली एक्टिविटी यहीं से ऑपरेट और मॉनिटर होती है। आश्रम में अंदर घुसते ही हरे-भरे बगीचे, फूलों की क्यारियां और पेड़ों की छांव वाला बड़ा कैंपस नजर आता है। एक तरफ गोशाला बनी है। सत्संग हॉल, आवास, मौन मंदिर और पुस्तकों के स्टॉल हैं। यहां रखरखाव की कमी साफ दिखती है।

हम आश्रम पहुंचे तब रात के करीब 8 बजे थे। यहीं बरगद के पेड़ के नीचे कुछ भक्त परिक्रमा करते मिले। सत्संग हॉल में महिलाएं और बुजुर्ग आसाराम के रिकॉर्डेड प्रवचन सुन रहे थे।

आसाराम के आश्रम में एंट्री करते ही बरगद का पेड़ है। भक्त इसकी परिक्रमा करते हैं।

आसाराम के आश्रम में एंट्री करते ही बरगद का पेड़ है। भक्त इसकी परिक्रमा करते हैं।

हॉल के अंदर आसाराम का मंदिर है। यहां उसका कटआउट लगा है। पीछे भगवान विष्णु की धनुष लिए प्रतिमा है। कटआउट को ऐसे डिजाइन किया गया है, मानो आसाराम खुद मौजूद है और प्रवचन दे रहा है। सामने एक खुली किताब रखी है।

आश्रम के अंदर आसाराम का मंदिर है। यहां आसाराम का कटआउट ऐसे लगा है जैसे वो सत्संग किया करता था। यहां उसके रिकॉर्डेड प्रवचन चलते हैं।

आश्रम के अंदर आसाराम का मंदिर है। यहां आसाराम का कटआउट ऐसे लगा है जैसे वो सत्संग किया करता था। यहां उसके रिकॉर्डेड प्रवचन चलते हैं।

हमें आश्रम घुमा रहे भक्त ने बताया कि सुबह-शाम यहां सत्संग, योग, ध्यान और भजन होते हैं। फिर मायूसी से बोला- पर अब पहले जैसी भीड़ नहीं होती। कुछ बुजुर्ग भक्त जरूर शांति की तलाश में आते हैं। बच्चियों से रेप, 2008 में बच्चों की मौत और जमीन विवाद का असर यहां की शांति पर पड़ा है।’

‘2036 का ओलिंपिक अहमदाबाद में हो सकता है। इसके लिए सरकार आश्रम की जमीन लेना चाहती है। मामला कोर्ट में है, लेकिन भविष्य अनिश्चित है। आश्रम आज भी चल रहा है, लेकिन इसकी रौनक और आस्था फीकी पड़ गई है।

आसाराम के भक्तों में ज्यादातर महिलाएं और बुजुर्ग हैं। हालांकि सत्संग हॉल में अब पहले जैसी भीड़ नहीं रहती।

आसाराम के भक्तों में ज्यादातर महिलाएं और बुजुर्ग हैं। हालांकि सत्संग हॉल में अब पहले जैसी भीड़ नहीं रहती।

‘बापू पर लगे आरोप झूठे, वे तो संयम सिखाते हैं’ आश्रम में आगे बढ़ने पर राजूजी चावडा मिले। सेल्स टैक्स ऑफिसर रहे राजूजी आसाराम पर लगे आरोपों को झूठा बताते हैं। कहते हैं, ‘बापू 20 साल से संयम और अध्यात्म की शिक्षा दे रहे हैं। उनके न होने से समाज को सच्ची दिशा नहीं मिल रही है।’

यहीं साधना कर रही योगाश्री देवरे बताती हैं, ‘मैं बचपन से बापू की अनुयायी हूं। उनके शिविर और बाल संस्कार कार्यक्रमों ने मुझे भारतीय संस्कृति के मुताबिक जीना सिखाया। बापू की गैरमौजूदगी पिता के न होने जैसा खालीपन लाती है।’

एक और भक्त जयेश गोयल बताते हैं, ‘32 साल से मेरा परिवार आश्रम से जुड़ा है। मुझे नहीं लगता बापू के जाने के बाद भक्त कम हुए हैं। लोग सेवा के लिए जुड़ते हैं और आश्रम आते हैं।’

प्रयागराज के रहने वाले अभिषेक श्रीवास्तव बताते हैं, ‘2003 में मैं 11वीं में था। लखनऊ में बापूजी से मंत्र दीक्षा मिली थी। 2011 में मैं अहमदाबाद शिफ्ट हो गया। तभी से रोज आश्रम आता हूं। मैंने बापूजी के बाहर रहने और अब का दौर देखा है। पहले समाज सेवा वाले काम बड़े पैमाने पर होते थे। अब थोड़ी कमी आई है। हालांकि, हमने 12 साल में उन्हें हमेशा अपने साथ माना है।’

प्रवक्ता बोलीं- 12 साल में कोई बदलाव नहीं, सब जस का तस आसाराम ट्रस्ट के कामकाज पर हमने आश्रम की राष्ट्रीय प्रवक्ता नीलम दुबे से बात की। वे बताती हैं, ‘आसाराम कभी आश्रमों के मालिक या संचालक नहीं थे। सभी आश्रम ट्रस्ट के तहत चलते हैं। इनके ट्रस्टी और संचालक हैं। सरकारी रिकॉर्ड और ऑडिट रेगुलर होते हैं।’

‘12 साल बाद भी आश्रम के संचालन में कोई बदलाव नहीं आया। आश्रम जस के तस चल रहे हैं। बस बापू की गैरमौजूदगी का असर हुआ है। पहले उनके सत्संग में हजारों लोग आते थे। 3-4 घंटे के प्रवचन होते थे। अब छोटे सत्संग, भजन, ध्यान और योग ही करवाते हैं। बापूजी की बनाई परंपरा सुबह से शाम तक सत्संग, कीर्तन, योग और समाजसेवा अब भी चल रही है।’

बेरोजगारों को भजन के बदले खाना आश्रमों में क्या काम होता है? नीलम जवाब देती हैं, ‘हमारी सबसे अहम स्कीम भजन करो-भोजन करो है। बेरोजगार लोग 6-7 घंटे भजन या ध्यान करते हैं। बदले में उन्हें खाना और दक्षिणा मिलती है। इसके अलावा दरिद्र नारायण स्कीम के तहत गरीब परिवारों को हर महीने राशन, दाल, चावल, दलिया और पैसों की मदद दी जाती है। गर्मियों में पलाश का शरबत, छाछ और गोमूत्र अर्क फ्री में देते हैं। ये सभी योजनाएं बापूजी ने शुरू की थीं और आज भी चल रही हैं।’

आसाराम के न रहने पर आध्यात्मिक गतिविधियां कैसे चलती हैं? नीलम बताती हैं, ‘बापूजी ने 18-20 वक्ता बनाए हैं, जो उनकी कबीरपंथी विचारधारा पर सत्संग और कीर्तन करते हैं। इसमें सुरेशानंद, ज्योत्सना बेन और रेखा दीदी प्रमुख हैं। विद्यार्थी अनुष्ठान और महिला ध्यान शिविर नियमित हैं।’

‘12 साल पहले सेहतमंद थे, अब व्हीलचेयर पर पहुंचे बापू’ आसाराम की जिंदगी में 12 साल में क्या बदला है? नीलम कहती हैं, ‘2013 में बापूजी स्वस्थ थे, सिर्फ ट्राइजेमिनल न्यूराल्जिया (चेहरे और सिर में दर्द) की दिक्कत थी। इसे आयुर्वेद से कंट्रोल करते थे। जोधपुर जेल के मुश्किल हालात, भीड़, गर्मी, सर्दी ने उनकी सेहत तोड़ दी। 8-9 बीमारियां, हार्ट अटैक, हीमोग्लोबिन 3.5 तक गिरना, आंतों से ब्लीडिंग और कोविड के दौरान ICU में भर्ती होने से उनकी ऐसी हालत हुई है।’

‘जोधपुर AIIMS में इलाज न होने पर अनुयायियों ने कोर्ट से मेडिकल बेल दिलवाई। अब आयुर्वेदिक अस्पताल में उनका इलाज चल रहा है। वे अभी व्हीलचेयर पर हैं। पहले कूदते-फांदते थे, अब बोलते-चलते वक्त रुक जाते हैं। हाल में आई पैर की मोच और उंगली टूटने से उनकी योग-प्राणायाम की दिनचर्या भी रुक गई है।’

‘भक्त मौन व्रत पर, अन्न त्यागा’ नीलम बताती हैं, ‘कई साधकों ने बापूजी के दर्शन न होने पर मौन व्रत लिया है। कुछ ने अन्न या नए कपड़े छोड़ दिए। 23 साल के एक साधक ने संकल्प लिया है कि बापूजी दिखेंगे, तभी बोलूंगा।’

नीलम के मुताबिक, आसाराम की गैरमौजूदगी का असर समाज पर भी पड़ा है। हर दिवाली बापूजी आदिवासी इलाकों में ट्रक भरकर सामान, मिठाई, कपड़े और किताबें बांटते थे। भंडारे अब भी होते हैं, पर लोग कहते हैं कि बापूजी के बिना मजा नहीं। सत्संगों में छोटे दुकानदार पानी, बिस्किट, शॉल बेचकर गुजारा करते थे। उनका रोजगार छिन गया। इससे बच्चों की पढ़ाई और इलाज रुक गया।’

आश्रम ने बेटी और पत्नी से दूरी बनाई आसाराम की बेटी भारती श्री और उनकी पत्नी लक्ष्मी देवी कहां हैं? नीलम बताती हैं, ‘आसाराम ने 2009 में ही उन्हें आश्रम से अलग कर दिया था। वे अब खुद के सत्संग करती हैं। उनका ट्रस्ट कुछ प्रोडक्ट्स बनाता है।’

आसाराम के ट्रस्ट से जुड़ी 12 वेबसाइट पर भी उनका नाम नहीं है। बेटी के सोशल मीडिया पेजों पर आसाराम का जिक्र नहीं है। नीलम ने यह भी क्लियर किया कि आसाराम ने अब तक वसीयत नहीं बनाई है। वे हमेशा से कहते आए हैं कि उनका सब कुछ करोड़ों साधकों का है। बापूजी का परिवार दो-चार लोग नहीं, करोड़ों अनुयायी हैं। दीक्षा लेने वाले उनके बच्चे हैं।’

10 हजार करोड़ के साम्राज्य पर वे कहती हैं, ‘बापूजी की संपत्ति रुपए में नहीं मापी जा सकती।’

आसाराम की बेटी भारती श्री अहमदाबाद में मोटेरा स्टेडियम के पास रहती हैं। वे मीडिया से बात नहीं करतीं। इकलौता बेटा नारायण साईं रेप केस में जेल में हैं। उसके बारे में नीलम कहती हैं, ‘जेल में उनका रूटीन सामान्य कैदी जैसा है। वे शिकायत नहीं करते। मीडिया ने आरोपों को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया, पर बापूजी शांत हैं।’

ब्याज पर दिए पैसों से 419 करोड़ की कमाई जर्नलिस्ट और राइटर उषीनौर मजूमदार ने अपनी किताब ‘गॉड ऑफ सिन’ में दावा किया था कि आसाराम बापू के खरबों रुपए के साम्राज्य के पीछे बड़ा फर्जीवाड़ा है। इसका खुलासा सूरत पुलिस ने 42 बोरियों में मिले 58 हजार से ज्यादा डॉक्यूमेंट्स, बही-खाते और डिजिटल डेटा की जांच से किया था।

जांच से पता चला कि भक्तों से मिलने वाला करोड़ों रुपए का नकद दान कभी आसाराम के मुख्य ट्रस्ट (संत श्री आसारामजी बापू आश्रम ट्रस्ट) के ऑफिशियल अकाउंट में दर्ज नहीं किया गया। ऐसा इसलिए किया गया, ताकि इस पैसे का इस्तेमाल निजी फायदे और अवैध कारोबार में किया जा सके।

दस्तावेजों से खुलासा हुआ कि इस रकम का बड़ा हिस्सा ब्याज पर कर्ज देने में इस्तेमाल किया गया। कर्ज लेने वालों में बड़े बिल्डर और व्यापारी भी शामिल थे। जांच टीम ने पाया कि लगभग 3 हजार करोड़ रुपए कर्ज पर दिए गए। एक अनुमान के मुताबिक, इससे हर साल करीब 419 करोड़ रुपए तक ब्याज मिला।

इस धोखाधड़ी में आश्रम के स्वयंसेवकों को मोहरा बनाया गया। आश्रम के पते पर उनके नाम से बैंक अकाउंट खोले गए। उनके साइन वाली खाली चेकबुक रखी गईं। इन अकाउंट का इस्तेमाल छोटे भुगतान करने और पैसे को कई अकाउंट में बांटकर रखने के लिए किया जाता था, ताकि बड़ी धोखाधड़ी पकड़ में न आए।

भक्त बोले- हमारा बहुत मजाक उड़ाया, अब वही लोग आश्रम आना चाहते हैं अब हमें ये जानना था कि आसाराम के जेल जाने के बाद उसके भक्तों की जिंदगी में क्या बदला है। हम मोटेरा आश्रम में डॉ. अचला पाराशर से मिले। वे 20 साल से आश्रम से जुड़ी हैं। वे बताती हैं, ‘बापूजी की गैर मौजूदगी ने हमें चुप रहने की बजाय बोलना सिखाया। उनकी किताबें हम और गहराई से पढ़ते और समझते हैं।’

डॉ. अचला कहती हैं, ‘लोग हमें पागल समझते हैं कि इतने बड़े आरोपों के बाद भी हम बापूजी से जुड़े हैं। 12 साल में हमारी मजबूती देखकर लोगों की सोच बदली। पहले मजाक उड़ाने वाले कुछ लोग अब आश्रम आना चाहते हैं।

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लोगों ने मजाक उड़ाया, लेकिन बापूजी ने हमें टिके रहना सिखाया। उन्होंने कहा कि गलत सोच को समझो, भागो मत, सामना करो और मौका मिले तो सच बताओ।

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भक्तों का ब्रेनवाश करने के आरोप खारिज करते हुए डॉ. अचला कहती हैं, ‘मैं डॉक्टर हूं, मास्टर्स के अलावा कई कोर्स किए हैं। धार्मिक संस्थाओं के साथ काम करने के बाद सोच-समझकर अपने गुरु को चुना। हम पागल नहीं हैं। अगर सच बोलने पर हमें गैलीलियो की तरह पागल कहा जाए, तो शायद हम जमाने से आगे हैं।’

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आसाराम की जमानत से जुड़ी ये खबर भी पढ़िए सूरत रेप केस में एक जज ने याचिका मंजूर की, दूसरे ने कहा- आंखें बंद नहीं कर सकते

गुजरात हाईकोर्ट ने सूरत रेप केस में आसाराम को तीन महीने की अंतरिम जमानत दे दी। हालांकि, इस पर दोनों जजों की राय अलग-अलग थी। जस्टिस संदीप एन भट्ट ने कहा- इस बात से आंखें बंद नहीं की जा सकती कि आसाराम रेप के मामले में दोषी है। इसके बाद चीफ जस्टिस को केस ट्रांसफर किया गया। चीफ जस्टिस ने आसाराम की जमानत और बढ़ा दी। पढ़ें पूरी खबर…

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