Azam Khan Fake PAN Card Case; Yogi Adityanath | Rampur BJP MLA | 11 बार विधायक-सांसद रहे आजम खान अब कैदी नंबर 425: 50 महीने जेल, 55 दिन बेल, फिर जेल; रामपुर के लोग बोले- योगी रहम करें


17 नवंबर 2025, दोपहर का वक्त, पुलिसवाले यूपी के पूर्व मंत्री आजम खान और उनके बेटे अब्दुल्ला को रामपुर के MP-MLA कोर्ट से जिला जेल ले जा रहे थे। पुलिस की गाड़ी से उतरकर आजम जेल के मेन गेट पर उतरे, तो मीडिया ने घेर लिया। हाथ में चश्मे का केस और बिस्किट

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आजम से पूछा गया- फर्जी पैन कार्ड मामले में आपको 7 साल की सजा हुई है, क्या कहना चाहते हैं? जवाब में आजम इतना ही कह पाए- ‘बेहतर है। कोर्ट ने गुनहगार समझा, तो सजा सुनाई है।’

आजम के इस जवाब में उनकी बेबसी साफ दिखी। आजम 5 साल में 50 महीने जेल में रहे। रामपुर के लोग भी कहते हैं कि अब किसी नए मामले में आजम खान के जेल जाने पर हैरानी नहीं होती, फिर भी CM योगी आदित्यनाथ को उन पर रहम करना चाहिए।

1980 में पहली बार विधायक बनने के बाद आजम खान रामपुर की राजनीति में सबसे बड़े किरदार बने रहे। यहां के लोग अब कहते हैं कि आजम और जेल इर्द-गिर्द रहते हैं।

1980 में पहली बार विधायक बनने के बाद आजम खान रामपुर की राजनीति में सबसे बड़े किरदार बने रहे। यहां के लोग अब कहते हैं कि आजम और जेल इर्द-गिर्द रहते हैं।

आजम पर फर्जी डॉक्यूमेंट देने, जमीन कब्जाने और हेट स्पीच के 104 केस दर्ज हुए, इनमें 11 में फैसला आ चुका है। 6 मामलों में सजा हुई, 5 में बरी हो गए। 2 महीने पहले 23 सितंबर को आजम जमानत पर सीतापुर जेल से बाहर आए थे। 55 दिन तक घरवालों के साथ रहे। अब फर्जी पैन कार्ड मामले में फिर से जेल पहुंच गए हैं।

आजम और उनके बेटे अब्दुल्ला रामपुर जेल की बैरक नंबर 1 में कैद हैं। यहां आजम की पहचान कैदी नंबर 425 की है। ये बैरक उनके घर से सिर्फ 200 मीटर दूर है। ये फासला सिर्फ इतना है कि उनके मोहल्ले की मस्जिद में नमाज होती है, तो उसकी आवाज उन्हें सुनाई देती है।

एक FIR, जिसने आजम को फिर सलाखों के पीछे पहुंचाया 17 नवंबर को फर्जी पैनकार्ड से जुड़े 2 मामलों में आजम और अब्दुल्ला पेशी पर MP-MLA कोर्ट पहुंचे थे। तब तक ये तय नहीं था कि उन्हें सजा मिल जाएगी। ये मामला दिसंबर 2019 में सामने आया था, जब BJP नेता आकाश सक्सेना ने आजम-अब्दुल्ला के खिलाफ FIR दर्ज करवाई थी। 6 साल तक लगातार जांच और सुनवाई चलती रही।

आकाश सक्सेना अब रामपुर के विधायक हैं। सुनवाई के दिन कोर्ट में मौजूद थे। जज शोभित बंसल के सामने बहस शुरू हुई। सुनवाई के दौरान आकाश सक्सेना ने आरोप लगाया कि अब्दुल्ला आजम के साथ उनके पिता आजम खान भी दोषी हैं।

2017 में अखिलेश सरकार में नगर विकास मंत्री रहते हुए आजम ने रसूख के दम पर लखनऊ नगर निगम से बेटे का फर्जी बर्थ सर्टिफिकेट बनवाया। उसी के आधार पर फर्जी पैन कार्ड बनवाकर अब्दुल्ला को चुनाव लड़वाया।

कोर्ट में पेश सबूतों के मुताबिक, अब्दुल्ला आजम ने दो अलग-अलग जन्म तिथियों के आधार पर दो पैन कार्ड बनवाए। एक पैन कार्ड में डेट ऑफ बर्थ 1 जनवरी 1993 थी, जबकि दूसरे में 30 सितंबर 1990 दर्ज कराई गई।

ऐसे में अब्दुल्ला अपनी असली जन्मतिथि के हिसाब से 2017 के विधानसभा चुनाव में 25 साल की न्यूनतम उम्र पूरी नहीं करते थे। बावजूद इसके चुनाव लड़वाने के लिए आजम ने उनका दूसरा पैन कार्ड बनवाया।

अब्दुल्ला के बर्थ सर्टिफिकेट जिनमें जन्म की तारीख अलग-अलग लिखी है। फर्जी डॉक्युमेंट के जरिए अब्दुल्ला ने चुनाव लड़ा और 53 हजार से ज्यादा वोटों से जीते थे।

अब्दुल्ला के बर्थ सर्टिफिकेट जिनमें जन्म की तारीख अलग-अलग लिखी है। फर्जी डॉक्युमेंट के जरिए अब्दुल्ला ने चुनाव लड़ा और 53 हजार से ज्यादा वोटों से जीते थे।

कोर्ट ने आजम और अब्दुल्ला को धोखाधड़ी और आपराधिक साजिश की धाराओं में दोषी माना। 7 साल की सजा और 50 हजार रुपए का जुर्माना लगाया। इसके बाद पुलिस ने कोर्ट रूम में ही सपा नेता और उनके बेटे को हिरासत में ले लिया।

BJP विधायक बोले- सपा सरकार में सुनवाई नहीं हुई BJP विधायक आकाश सक्सेना कहते हैं, ‘आजम खान और उनके परिवार ने सत्ता में रहते हुए बहुत गलत काम किए। कानून ताक पर रखकर हमेशा फायदा उठाने की कोशिश की। इसका नतीजा आज उन्हें भुगतना पड़ रहा है। 2017 में आजम खान ने बेटे का नामांकन दाखिल करवाया, तभी हमने उनके खिलाफ शिकायत की थी, लेकिन उस समय सपा सरकार होने की वजह से किसी ने नहीं सुनी।’

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सच्चाई सामने होते हुए भी हर चीज को छिपाया गया। बावजूद इसके हमने हार नहीं मानी। हमने RTI के जरिए सबूत इकट्ठा किए और कानूनी तरीके से 2019 में आजम खान और अब्दुल्ला के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई।

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आकाश आगे कहते हैं, ‘आजम खान को बेवजह जेल नहीं हुई। चाहे जौहर यूनिवर्सिटी के लिए रामपुर के लोगों की जमीनें कब्जाना हो या बेटे को चुनाव लड़वाने के लिए फर्जी दस्तावेज बनवाना, उन पर दर्ज सभी मुकदमे उनके निजी फायदे के लिए थे। सबको पता था कि इसका अंत जेल ही होने वाला था।’

लोग बोले- बुरे वक्त में अखिलेश ने साथ छोड़ा रामपुर के शाहबाद गेट पर बेकरी की दुकान चलाने वाले जाहिद हिंदुस्तानी कहते हैं, ‘आजम खान की उम्र 75 साल है। इस हिसाब से तो उनका राजनीतिक करियर खत्म हो चुका है। सक्रिय राजनीति करना भी उनके दायरे से बाहर है।’

‘अखिलेश यादव चाहते तो आजम खान को परेशानियां न झेलनी पड़तीं। उन्होंने भी बुरे वक्त में साथ छोड़ दिया। अब जितना जीवन उनके पास बचा है, उन्हें परेशान नहीं किया जाना चाहिए।’

आजम खान के घर के पास जेल रोड पर रहने वाले फुकरान की फुटवेयर की दुकान है। वे कहते हैं, ‘आजम साहब गरीबों के नेता हैं। उन्होंने मंत्री रहते हुए पक्की सड़कों से लेकर बाजार और यूनिवर्सिटी बनवाई। बीड़ी मजदूरों के साथ बैठकर खाना खाते थे। अब सरकार बदल चुकी है, अपनी ताकत दिखा रही है।’

आजम खान के बंद पड़े रामपुर पब्लिक स्कूल के पास रेहड़ी लगाने वाले नसीम, फुकरान और जाहिद से अलग बात कहते हैं। उनके मुताबिक, आजम को जो सजा मिली, वे इसके हकदार थे। उन्होंने सत्ता में रहते हुए यहां की चीनी मिल बंद करवा दी। गरीब के बच्चों को बेरोजगार भटकने के लिए छोड़ दिया। उनकी वजह से मुसलमान सड़क पर आ गए। ऊपर वाला सब देखता है। उन्हें उनके किए की सजा मिल रही है।

2027 तक चुनाव नहीं लड़ सकते आजम और अब्दुल्ला यूपी सरकार में कभी कैबिनेट मंत्री रहे आजम ने बीते 5 साल में 50 महीने जेल में काटे। योगी सरकार आने के बाद 2 बार जेल गए। पहली बार फरवरी 2020 से मई 2022 तक और फिर अक्टूबर 2023 से सितंबर 2025 तक जेल में रहे।

भड़काऊ भाषण के मामले में 2022 में आजम को सजा हुई और उनकी विधायकी चली गई। 2023 में अब्दुल्ला को भी जेल जाना पड़ा। उनकी भी विधायकी चली गई। अब फर्जी पैनकार्ड केस में बाप-बेटे 7 साल जेल की सजा काट रहे हैं। दोनों कानूनी तौर पर 2027 का चुनाव भी नहीं लड़ सकते हैं। ऐसे में बड़ा सवाल उठता है कि लगातार हो रही सजा के बाद क्या आजम का पॉलिटिकल करियर खतरे में है।

रामपुर के सीनियर जर्नलिस्ट तमकीन फयाज खान कहते हैं, ‘आजम खान सिर्फ रामपुर के नहीं, पूरे यूपी के बड़े सियासी चेहरे रहे हैं। अब उन्हें जिस तरह सजाएं मिल रही हैं, ये कहना गलत नहीं होगा कि इसमें सियासत का दखल नहीं है। ये भी सच है कि कानून और अदालतें सबूत देखती हैं, तो फैसले भी उसी हिसाब से लिए जा रहे हैं।’

‘जेल से रिहा होने के बाद भी वे शांत नहीं बैठे। वे लंबे वक्त के बाद जमानत पर घर आए थे। उन्हें खुद को संभालना चाहिए था, सेहत पर ध्यान देना चाहिए था, लेकिन सियासत ने कभी उनका साथ नहीं छोड़ा। वे बयानों को लेकर चर्चा में बने रहे। आजम इस कदर पॉलिटिक्स में घुस गए कि सपा नेता और रामपुर के सांसद मोहिबुल्लाह नदवी ने उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया।’

तमकीन के मुताबिक, आजम 9 बार विधायक, 2 बार सांसद रहे, 4 बार यूपी सरकार में मंत्री रहे। जाहिर है कि अब उन्हें इतना बड़ा पद फिर से मिल पाना मुश्किल है। बड़ा पॉलिटिकल फिगर होने के बावजूद उन पर जो मुकदमे और पुलिस कार्रवाई हुई, उससे न तो संसद बचा पाई और न ही उनकी विधायकी का लंबा रिकॉर्ड काम आया।’

‘यहां तक कि सपा भी उनके सपोर्ट में कभी खुलकर खड़ी नहीं दिखी। उनके लिए अब यही अच्छा रहेगा कि वो सियासत छोड़ सेहत और यूनिवर्सिटी पर ध्यान दें।’

रिश्तेदार बोले- सरकार नहीं चाहती आजम चैन से रहें 23 सितंबर को सीतापुर जेल से रिहा होकर आजम खान रामपुर पहुंचे थे। उनके घर पर मिलने वालों का हुजूम लगने लगा। नेता-विधायक से लेकर समर्थक मकान के बाहर घंटों खड़े रहते। अब सब गायब हैं।

फर्जी पैनकार्ड मामले में आजम और अब्दुल्ला के जेल जाने के बाद घर पर सन्नाटा पसरा है।

फर्जी पैनकार्ड मामले में आजम और अब्दुल्ला के जेल जाने के बाद घर पर सन्नाटा पसरा है।

आजम की पत्नी तंजीन फातिमा और बड़ा बेटा अदीब केस से जुड़ी कानूनी प्रक्रिया देख रहे हैं। हम उनसे बात करने पहुंचे। वहां हमें बताया कि तंजीम की सेहत ठीक नहीं है और अदीब रामपुर से बाहर हैं। हमने बताए गए फोन नंबरों पर दोनों से संपर्क किया, लेकिन रिस्पॉन्स नहीं मिला। जवाब आने पर रिपोर्ट में अपडेट किया जाएगा।

आजम और अब्दुल्ला के जेल जाने पर उनके करीबी रिश्तेदार और सपा नेता आसिम खान कहते हैं, ‘जब हुकूमत ही नहीं चाहती कि आजम चैन से रहें, तो क्या किया जा सकता है। अपील भी आप हैं, दलील और वकील भी आप के हैं, तो जो मनमर्जी आए वो कीजिए, जिसे चाहे हलाल कह दीजिए, जिसे चाहे हराम कह दीजिए।’

क्या 2017 के बाद से टारगेट पर हैं आजम आजम के समर्थकों का मानना है कि 2017 के बाद से आजम खान और उनकी फैमिली को टारगेट किया जा रहा है। आजम ने कभी सीधे तौर पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ कोई टिप्पणी नहीं की, लेकिन वे हमेशा उन पर हावी रहे हैं। हालांकि रामपुर के इतिहास और आजम की पॉलिटिक्स पर करीब से नजर रखने वाले पॉलिटिकल एनालिस्ट विवेक गुप्ता इस बात से इत्तफाक नहीं रखते।

विवेक कहते हैं, ‘अखिलेश सरकार में आजम के नाम का सिक्का चलता था। लखनऊ में विधानसभा चलती थी, तब हर रोज एक हेलिकॉप्टर उन्हें रामपुर छोड़ने आता था। दिसंबर 2017 की वो तस्वीर कोई कैसे भूल सकता है, जिसमें आजम और योगी हाथ पकड़कर विधानसभा की गैलरी में चल रहे थे।’

फोटो 2017 की है, जब लखनऊ में विधानसभा का सत्र चल रहा था। तब आजम खान और यूपी के CM योगी आदित्यनाथ साथ दिखे थे।

फोटो 2017 की है, जब लखनऊ में विधानसभा का सत्र चल रहा था। तब आजम खान और यूपी के CM योगी आदित्यनाथ साथ दिखे थे।

‘CM योगी के लिए आजम खान कभी भी बड़ी चुनौती नहीं रहे। योगी हमेशा से हिंदू फायर ब्रांड चेहरा रहे हैं और आजम मुसलमानों के नेता। दोनों एक-दूसरे की राजनीति को पसंद नहीं करते।’

‘आजम और अब्दुल्ला 2029 तक कोई चुनाव नहीं लड़ सकते। उनकी पत्नी तंजीम लंबे समय से राजनीति से दूर हैं। बड़े बेटे अदीब को पॉलिटिक्स में रुचि नहीं है। उनकी बहू सिदरा खान भविष्य में चुनाव लडेंगी या नहीं, ये कोई नहीं जानता। इसे देखते हुए यही लगता है कि आजम और उनके परिवार का पॉलिटिकल फ्यूचर गहरे संकट से गुजर रहा है।’

…………………………………. ये खबर भी पढ़ें आजम खान के पास कितनी संपत्ति बची

कभी यूपी सरकार में सबसे ताकतवर मंत्री रहे आजम खान योगी सरकार आने के बाद 2 बार जेल गए। कैद में रहते हुए आजम की करोड़ों की प्रॉपर्टी पर बुलडोजर चला। हमसफर रिसॉर्ट से लेकर उनके ड्रीम प्रोजेक्ट जौहर यूनिवर्सिटी में हॉस्टल घोटाला सामने आने पर बड़ी बदनामी हुई। रामपुर में आजम पर दर्ज किए गए 90 मामलों में अकेले 30 जौहर यूनिवर्सिटी से जुड़े केस हैं। पढ़िए पूरी खबर…

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