
4 दिन पहलेलेखक: शिवाकान्त शुक्ल
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हाल ही में दिल्ली यातायात पुलिस ने कार की विंडो पर रंगीन या ब्लैक फिल्म लगाने वालों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की। यहां सिर्फ एक हफ्ते में 2,235 से ज्यादा चालान काटे गए।
इसी तरह यूपी के मेरठ में ‘ऑपरेशन ब्लैक कैट’ चलाया गया, जिसके तहत 3 दिन के अंदर 454 वाहनों के चालान किए गए। इन सभी वाहनों पर नियमों के विपरीत टिंटेड/ब्लैक फिल्म चढ़ी थी।
दिल्ली के अतिरिक्त पुलिस आयुक्त (यातायात) सत्यवीर कटारा के मुताबिक, पिछले एक साल में अकेले दिल्ली में 20,232 चालान सिर्फ ब्लैक फिल्म के उल्लंघन को लेकर किए गए हैं। इससे पता चलता है कि या तो लोगों में जानकारी की कमी है या फिर जानबूझकर नियमों को उल्लंघन किया जा रहा है।
आपने भी देखा होगा कि कुछ लोग अपनी कारों को मॉडिफाई कराते समय विंडो पर ब्लैक या टिंटेड फिल्म लगवा लेते हैं। यह ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन है और सुरक्षा के लिहाज से भी खतरनाक है। ऐसे में हर वाहन मालिक को इस बारे में जानकारी होना जरूरी है।
तो चलिए, आज ‘जरूरत की खबर’ में समझेंगे कि गाड़ियों के विंडो पर ब्लैक/टिंटेड फिल्म लगवाना कानूनन अपराध क्यों है? साथ ही जानेंगे कि-
- इसे लेकर कानून क्या कहता है?
- कार मालिकों को किन बातों ध्यान रखना चाहिए?
एक्सपर्ट: सौरभ कुमार, डिविजनल ट्रांसपोर्ट ऑफिसर (DTO), बांदा, उत्तर प्रदेश
सवाल- लोग कारों में ब्लैक फिल्म या शीशा क्यों लगवाते हैं?
जवाब- अक्सर लोग कार के अंदर गर्मी कम करने, प्राइवेसी बढ़ाने, प्रीमियम लुक पाने या मॉडिफिकेशन के शौक में कार पर ब्लैक/टिंटेड फिल्म लगवा लेते हैं।
कुछ लोग नियमों की जानकारी न होने पर भी ऐसा करते हैं। हालांकि यह पूरी तरह अवैध है। नीचे दिए ग्राफिक से कार में ब्लैक फिल्म लगवाने के मुख्य कारणों को जानिए-

सवाल- भारत में कार में ब्लैक फिल्म को लेकर क्या नियम हैं?
जवाब- भारत में कार की विंडो पर ब्लैक/टिंटेड शीशा या फिल्म लगाने को लेकर कानून बेहद स्पष्ट है। सुप्रीम कोर्ट ने 2012 के एक केस (अभिषेक गोयनका बनाम भारत संघ) के अपने फैसले में साफ कहा है कि कार खरीदने के बाद बाहर से किसी भी तरह की फिल्म (ब्लैक, रंगीन, स्मोक्ड, रिफ्लेक्टिव या हल्की) लगवाना पूरी तरह गैर-कानूनी है, चाहे वह विजिबल लाइट ट्रांसमिशन (VLT) मानकों को पूरा ही क्यों न करे।
पुलिस को ऐसे मामलों में चालान काटने और मौके पर ही फिल्म व शीशा हटाने का अधिकार है। कोर्ट ने यह प्रतिबंध सड़क सुरक्षा, पारदर्शिता और अपराधों की रोकथाम को ध्यान में रखते हुए लगाया था।
वहीं ‘सेंट्रल मोटर व्हीकल रूल (CMVR)’ 1989 के नियम 100 में कार की फैक्ट्री-बिल्ट ग्लास के लिए VLT मानक तय किए गए हैं। इसके अनुसार, फ्रंट और रियर विंडशील्ड में कम-से-कम 70% तथा साइड विंडो में 50% विजिबिलिटी अनिवार्य है। यानी कार कंपनियां मैन्युफैक्चरिंग के दौरान हल्का टिंट या प्राइवेसी ग्लास लगा सकती हैं, लेकिन वह VLT स्टैंडर्ड के भीतर होना चाहिए। ये मानक कम होने पर नियम का उल्लंघन माना जाता है।
सवाल- कार में ब्लैक फिल्म लगवाने के क्या संभावित खतरे हैं?
जवाब- इसका सबसे बड़ा जोखिम सड़क सुरक्षा से जुड़ा है। टिंटेड या ब्लैक फिल्म शीशे के आर-पार विजिबिलिटी कम कर देती है, खासकर रात, बारिश या धुंध के समय। इससे एक्सीडेंट का खतरा बढ़ जाता है।
वहीं पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों के मुताबिक, इन शीशों की वजह से वाहन के अंदर होने वाली अवैध गतिविधियों को बाहर से देख पाना मुश्किल होता है। यह अपराध, अपहरण या छेड़छाड़ जैसी घटनाओं को बढ़ावा देता है। नीचे दिए ग्राफिक से इसके रिस्क समझिए-

सवाल- कार में ब्लैक फिल्म या शीशा लगाने पर कितना जुर्माना लगता है?
जवाब- भारत में कार पर ब्लैक फिल्म या अनुमत सीमा से कम VLT वाले शीशे पाए जाने पर मोटर व्हीकल एक्ट के तहत चालान किया जाता है। अधिकांश राज्यों में इसका जुर्माना 100 से 1,000 रुपए के बीच है। कई राज्यों ने इसे 2000 रूपए तक बढ़ा दिया है।
पुलिस वाहन रोककर मौके पर ही फिल्म हटवा सकती है और दोबारा वही गलती पकड़े जाने पर जुर्माना और भी अधिक लगाया जा सकता है।
सवाल- किन लोगों को कार में ब्लैक शीशा लगाने की छूट है?
जवाब- सुप्रीम कोर्ट के 2012 के आदेश के अनुसार, यह छूट केवल विशेष सुरक्षा श्रेणी में आने वाले व्यक्तियों को मिल सकती है। वह भी केवल सरकार द्वारा जारी किए गए आधिकारिक सुरक्षा-अनुमति पत्र के साथ। इनमें Z+ या Z कैटेगरी सुरक्षा प्राप्त व्यक्ति, सरकारी सुरक्षा एजेंसियों (SPG, IB, RAW) द्वारा अनुमोदित वाहन शामिल हैं।
यह छूट बहुत सीमित है और केवल सुरक्षा कारणों से मिलती है। इसके अलावा VIP, मंत्री, विधायक, सांसद या किसी भी उच्च पद पर बैठे व्यक्ति को अपनी निजी कार में ब्लैक फिल्म लगाने की अनुमति नहीं है।
सवाल- अगर विंडो पर ब्लैक फिल्म लगवाया है तो उसे हटाने का सही तरीका क्या है?
जवाब- इससे हटाना बहुत आसान है, लेकिन सही तरीका अपनाना जरूरी है ताकि शीशे को कोई नुकसान न पहुंचे। फिल्म को जबरदस्ती न खींचें। इससे ग्लास पर गोंद चिपक सकता है और स्क्रैच का खतरा बढ़ जाता है।
इसका सबसे सुरक्षित तरीका है कि पहले उसे हीट गन या हेयर ड्रायर से हल्का गर्म करें, ताकि गोंद नरम हो जाए। इसके बाद किनारे से धीरे-धीरे खींचकर पूरी फिल्म उतारें। अगर ग्लास पर चिपचिपाहट रह जाए तो ग्लास क्लीनर या साबुन-पानी से चिपचिपाहट साफ करें।

सवाल- क्या ब्लैक फिल्म लगाने से कार इंश्योरेंस क्लेम पर असर पड़ता है?
जवाब- हां, अवैध ब्लैक फिल्म लगाने से आपके इंश्योरेंस क्लेम पर असर पड़ सकता है। मोटर इंश्योरेंस पॉलिसी में स्पष्ट रूप से लिखा होता है कि वाहन में कोई भी ऐसा मॉडिफिकेशन नहीं होना चाहिए, जो कानून का उल्लंघन करता हो।
अगर कार में गैर-कानूनी ब्लैक/टिंटेड फिल्म लगी है या कार किसी दुर्घटना या आपराधिक मामले में शामिल है तो बीमा कंपनी क्लेम कम कर सकती है या पूरी तरह से रिजेक्ट भी कर सकती है। वहीं अगर पुलिस ने पहले ही गैर-कानूनी फिल्म के लिए चालान काटा है और उसका रिकॉर्ड मौजूद है तो बीमा कंपनियां इसे ‘रूल वायलेशन’ मानकर क्लेम प्रोसेस में सख्ती बरतती हैं।
सवाल- पुलिस ब्लैक शीशे की जांच कैसे करती है?
जवाब- पुलिस ब्लैक शीशे की जांच दो तरीकों से करती है।
VLT मीटर (टिंट मीटर) से मापकर
यह एक डिजिटल डिवाइस है, जो शीशे से गुजरने वाली रोशनी को मापता है। अगर विजिबल लाइट ट्रांसमिशन (VLT) तय मानक से कम मिलता है तो चालान किया जाता है।
विजुअल इंस्पेक्शन से
अगर शीशे पर स्पष्ट रूप से बाहरी फिल्म, स्मोक्ड टिंट, ब्लैक शेड या रिफ्लेक्टिव लेयर दिख रही हो तो अधिकारी बिना मीटर के भी इसे नियम उल्लंघन मानकर कार्रवाई कर सकते हैं।
सवाल- क्या इलेक्ट्रिक या लग्जरी कारों पर नियम अलग होते हैं?
जवाब- नहीं, इलेक्ट्रिक या लग्जरी कारों के लिए भी ब्लैक/टिंटेड फिल्म से जुड़े नियम बिल्कुल समान हैं।
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