Coronavirus JN.1 New Variant FAQs; COVID Lockdown | Vaccine Impact | आज का एक्सप्लेनर: हफ्तेभर में कोरोना के 3 गुना मामले; क्या वैक्सीन भी नहीं रोक पाएगी नया वैरिएंट; क्या फिर से लग सकता है लॉकडाउन


कहीं आप भी अपने जुकाम-बुखार को सिर्फ बदलते मौसम का असर तो नहीं समझ रहे। थोड़ा सतर्क हो जाइए। देश में कोविड-19 लौट आया है।

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हफ्तेभर में 823 नए केस मिले और कोरोना के एक्टिव केसों की संख्या एक हजार को पार कर गई है। इस हफ्ते कोरोना से 10 लोगों की जान ले ली।

आखिर कोरोना का नया वैरिएंट क्या है, ये कितना खतरनाक है, क्या वैक्सीनेटेड लोगों को भी दोबोरा कोरोना हो सकता है; ऐसे ही 8 जरूरी सवालों के जवाब, जानेंगे आज के एक्सप्लेनर में…

सवाल-1: भारत में इस वक्त कोविड-19 के कितने केस हैं और ये कितनी तेजी से फैल रहा है? जवाबः केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, भारत में 28 मई दोपहर 2 बजे तक 1200 एक्टिव कोरोना केस हैं। जबकि पिछले हफ्ते यानी 19 मई तक सिर्फ 257 एक्टिव केस थे। एक हफ्ते में 900 से ज्यादा केस जुड़े। केरल में सबसे ज्यादा 430 एक्टिव केस मिले। इसके बाद महाराष्ट्र में 325 एक्टिव केस हैं।

सवाल-2: भारत में कोरोना वायरस के कितने नए वैरिएंट मिले हैं और इनमें सबसे खतरनाक कौन-सा है? जवाब: फिलहाल देश में कोरोना के 4 नए वैरिएंट मौजूद हैं, जो ओमिक्रॉन के सब-वैरिएंट हैं। 2021 में वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन यानी WHO ने कोरोना के नए वैरिएंट B.1.1.529 को ओमिक्रॉन नाम दिया था।

इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च यानी ICMR के डायरेक्टर डॉ. राजीव बहल ने बताया कि दक्षिण और पश्चिम भारत से जिन वैरिएंट की सीक्वेंसिंग की गई है, वे LF.7, XFG , JN.1 और NB.1.8.1 सीरीज के हैं।

JN.1 भारत में सबसे आम वैरिएंट है, जो जीनोम सीक्वेंसिंग में करीब 53% सैम्पल्स में मिला है। इसकी शुरुआत अगस्त 2023 में लक्जमबर्ग में हुई थी। भारत में इसका पहला मामला केरल में दिसंबर 2023 में सामने आया। तब यह ज्यादा फैल नहीं पाया था। लेकिन अब यह तेजी से बढ़ रहा है।

अमेरिका के जॉन हॉपकिंस यूनिवर्सिटी के मुताबिक, JN.1 अन्य वैरिएंट की तुलना में ज्यादा आसानी से फैलता है, लेकिन यह बहुत गंभीर नहीं है। दुनिया के कई हिस्सों में यह सबसे आम वैरिएंट है। इसके लक्षण कुछ दिनों से लेकर हफ्तों तक रह सकते हैं।

JN.1 को सबसे ज्यादा संक्रामक माना जा रहा है क्योंकि यह उन लोगों को भी संक्रमित कर सकता है जो पहले कोविड से ठीक हो चुके हैं। हालांकि, यह कोविड-19 की शुरुआती लहरों जितना घातक नहीं है।

इसका म्यूटेशन वायरस को ह्यूमन सेल्स में आसानी से एंट्री और इम्यून सिस्टम को नुकसान पहुंचाने में मदद करता है। JN.1 में करीब 30 म्यूटेशन्स हैं, जो इम्यूनिटी कमजोर करते हैं।

WHO ने इसे ‘वैरिएंट ऑफ इंटरेस्ट’ की कैटेगरी में रखा है, यानी यह निगरानी के लिए महत्वपूर्ण है। हालांकि यह अभी तक ‘वैरिएंट ऑफ कन्सर्न’ यानी डेल्टा या ओमिक्रॉन जितना खतरनाक नहीं माना गया है।

सवाल-3: क्या कोरोना के नए वैरिएंट कैसे फैलते हैं और इसकी फैलने की दर क्या है? जवाब: मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अभी देश भर में कोरोना के 1047 एक्टिव केस हैं। दिल्ली के अपोलो स्पेक्ट्रा हॉस्पिटल में सीनियर कंसल्टेंट डॉ. संचयन रॉय के मुताबिक, नए कोरोना वैरिएंट्स भी पुराने कोविड-19 की तरह फैलते हैं…

  • ड्रॉपलेट्स: जब कोई संक्रमित व्यक्ति खांसता, छींकता या बात करता है, तो हवा में कुछ बूंदें फैलती हैं।
  • डायरेक्ट कॉन्टैक्ट: संक्रमित व्यक्ति के साथ डायरेक्ट कॉन्टैक्ट यानी सीधे या शारीरिक संपर्क से फैल सकता है। खासकर अगर कोई उनके चेहरे, आंख या मुंह को छूता है।
  • चीजों की सतह: ये वायरस चीजों की सतहों पर बना रह सकता है। दरवाजे के हैंडल या मोबाइल जैसी दूषित चीजों को छूने से संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।
  • हवा में मौजूदगी: वायरस के छोटे-छोटे पार्टिकल्स हवा में रह सकते हैं, खासकर भीड़भाड़ वाले या खराब हवा वाली जगहों में।

नए वैरिेएंट्स की फैलने की दर को रिप्रोडक्शन नम्बर यानी RO और ग्रोथ रेट से मापा जाता है। आसान भाषा में कहें तो एक संक्रमित व्यक्ति औसतन कितने लोगों को संक्रमित कर सकता है।

WHO के मुताबिक, JN.1 और LF.7 का RO 4 से 6 के बीच है, जबकि कोविड-19 का RO 2 से 4 के बीच था। कोविड-19 के मुकाबले JN.1 50-70% ज्यादा संक्रामक है, क्योंकि यह हवा में ज्यादा आसानी से फैलता है और इम्यूनिटी को कमजोर कर देता है। NB.1.8.1 और XFG का RO 5-7 के बीच है।

सवाल-4: जिन लोगों को कोरोना की वैक्सीन लगी है, क्या उन्हें नए वैरिएंट से कोरोना हो सकता है? जवाब: डॉ. संचयन रॉय कहते हैं, ‘जिन लोगों को पहले वैक्सीन लग चुकी हैं, उन्हें भी कोरोना का नया वैरिएंट संक्रमित कर सकता है। यह फैलने वाला इन्फेक्शन है, इसलिए किसी पेशेंट के संपर्क में आने से ये किसी को भी हो सकता है।

यानी पुरानी वैक्सीन डोज नए वैरिएंट के असर को नहीं रोक सकती, लेकिन यह नए वैरिएंट के खतरे को कम जरूर कर देती है। पुराने वैक्सीनेशन की इम्यूनिटी अभी भी पूरी तरह से कमजोर नहीं हुई है। यह आपके शरीर को नए वैरिेएंट से लड़ने में मदद जरूर कर सकती है।’

कोरोना का नया वैरिएंट मरीज के संपर्क में आने से फैल जाता है।

कोरोना का नया वैरिएंट मरीज के संपर्क में आने से फैल जाता है।

सवाल-5: कोरोना के नए वैरिएंट का सबसे ज्यादा असर किन लोगों पर हो रहा है? जवाब: गुरूग्राम के मारेंगो एशिया हॉस्पिटल की डॉ. दीक्षा गोयल और दिल्ली के मैक्स हेल्थकेयर हॉस्पिटल के डॉ. संदीप बुद्धिराजा के मुताबिक, कोरोना के नए वैरिएंट 4 तरह के लोगों पर असर कर रहा है…

1. 65 साल से ज्यादा उम्र के बुजुर्ग: उम्र के बढ़ने के साथ इम्यून सिस्टम कमजोर होता है, जिससे JN.1, XFG और NB.1.8.1 जैसे वैरिएंट्स आसानी से संक्रमण फैला देते हैं। जिन बुजुर्गों ने बूस्टर डोज नहीं लिया, उनकी इम्यूनिटी कम हो रही है। वहीं शुगर, दिल की बीमारी और हाई ब्लडप्रेशर वाले बुगुर्जों में भी कोरोना का खतरा ज्यादा है।

2. एक साल से कम उम्र वाले बच्चे: कुछ देशों में 1 साल से कम उम्र वाले बच्चे भी कोरोना की पकड़ में आसानी से आ रहे हैं, हालांकि भारत में ऐसे मामले कम हैं। हाल ही में AIIMS ऋषिकेश में 3 नए मामले सामने आए, जिसमें एक बच्चा भी शामिल था। इस बच्चे को निगरानी में रखा गया है।

3. कमजोर इम्यूनिटी वाले हर उम्र के लोग: जिन लोगों की इम्यूनिटी कमजोर है या जिन्हें कैंसर, HIV या कोई बड़ी बीमारी है, उन पर कोरोना के वैरिएंट ज्यादा असर डाल रहे हैं। इन लोगों में वैक्सीन से बनी एंटीबॉडीज कमजोर हो सकती है, क्योंकि इनकी इम्यूनिटी इसे झेलने में असमर्थ हो जाती है।

4. ज्यादा सफर करने वाले लोग: देश-विदेश में ज्यादा सफर करने वाले लोगों में कोरोना फैलने का खतरा ज्यादा है, क्योंकि कोरोना के सभी वैरिएंट्स विदेशों से भारत में आएं हैं। फ्लाइट्स और ट्रेनों में वायरस आसानी से फैल जाता है। हाल ही में नोएडा में 55 साल की एक महिला ट्रेन से सफर करके लौटी, जिसे XFG संक्रमण हो गया।

इसके अलावा जिन लोगों को पहले से स्वास्थ संबंधी समस्याएं हैं और जिन्होंने पूरा वैक्सीनेशन नहीं कराया, उन्हें कोरोना होने का खतरा बना हुआ है। दरअसल, वैक्सीन की इम्यूनिटी समय के साथ कम होती है और बूस्टर डोज न लेने से जोखिम बढ़ जाता है।

सवाल-6: क्या इससे बचने के लिए भी सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क और सैनेटाइजर का इस्तेमाल करना होगा? जवाब: डॉ. संचयन रॉय के मुताबिक, नए कोरोना वैरिएंट्स से बचने के लिए सभी पुराने तरीकों का इस्तेमाल करना होगा, जो कोविड-19 के दौरान किए थे।

सवाल-7: क्या कोरोना के नए वैरिएंट से बचने के लिए वैक्सीन या इलाज है? जवाब: कोरोना के नए वैरिएंट से बचने के लिए वैक्सीनेशन मौजूद है, लेकिन इसके लिए एहतियात बरतने जरूरी हैं, क्योंकि वैक्सीनेशन नए वैरिएंट का असर होने से रोक नहीं सकती।’

कोरोना के नए वैरिएंट्स से लड़ने के लिए 3 प्रमुख वैक्सीन हैं…

  • फाइजर-बायोएनटेक: इसे 2023-24 में अपडेट किया गया। यह खासतौर पर ओमिक्रॉन XBB.1.5 और इसके सब-वैरिएंट्स यानी JN.1, LF.7, XFG) के लिए बनाई गई है। अमेरिका के सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल यानी CDC के मुताबिक, यह संक्रमण को रोकने में 50-60% कारगर है।
  • मॉडर्ना: इसे 2024 में अपडेट किया गया और यह NB.1.8.1, LF.7, XFG वैरिएंट्स के लिए इस्तेमाल की जाती है। यह कोरोना के लक्षणों को हल्का और कम करने में मदद करती है।
  • नोवावैक्स और कोवोवैक्स: यह एक ही वैक्सीन के दो अलग-अलग ब्रांड के नाम हैं, जिन्हें NVX-CoV2373 कहा जाता है। यह प्रोटीन सब-यूनिट वैक्सीन है, जिसे SARS-CoV-2 वायरस के स्पाइक प्रोटीन के हिस्से से बनाया गया। यह प्रोटीन वायरस की तरह दिखती है, लेकिन बीमारी नहीं फैलाती। यह JN.1 समेत सभी वैरिएंट्स के खिलाफ 80-90% तक कारगर है।

सवाल-8: क्या 6 साल बाद फिर से देशभर में लॉकडाउन लग सकता है? जवाब: डॉ. संचयन रॉय कहते हैं, ‘लॉकडाउन जैसी स्थिति अभी नहीं बन सकती। कोविड-19 के दौरान वायरस नया था और ह्यूमन बॉडी में उससे लड़ने की केपेबिलिटी नहीं थी। लॉकडाउन एक स्ट्रैटजिक इवेंट था, जिससे लोगों को संक्रमण से बचाने और मरीजों से दूर रखाने के लिए हुआ था। अभी इतने गंभीर हालात नहीं हैं कि लॉकडाउन लगाया जाए। अभी स्थिति कंट्रोल में है और नया वैरिएंट पुराने कोविड-19 की तरह खतरनाक नहीं है। यह तेजी फैल जरूर रहा है, लेकिन उतना ज्यादा असर नहीं डाल सकता।’

अगर आने वाले समय में नए और ज्यादा खतरनाक वैरिएंट्स आए तो जरूरत पड़ने पर लॉकडाउन लगाया जा सकता है, लेकिन फिलहाल ऐसा कुछ नहीं होने वाला है। हालांकि, भारत सरकार ने नए वैरिएंट्स के लिए तैयारियां शुरू कर दी हैं। देशभर के अस्पतालों में एक्स्ट्रा बिस्तरों की व्यवस्था की जा रही है और ऑक्सीजन की पूर्ति भी की जा रही है।

कल सुबह 6 बजे ऐसे ही बेहद जरूरी टॉपिक पर पढ़िए और देखिए एक और ‘आज का एक्सप्लेनर’

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