Forced Marriage Right; Divorce Vs Annulment | Void Voidable Shaadi | जानें अपने अधिकार- क्या जबरन शादी रद्द हो सकती है: कानून क्या कहता है, झूठ, फरेब और जबरदस्ती से हुई शादी कैसे कराएं रद्द


10 घंटे पहलेलेखक: गौरव तिवारी

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भारत में शादी एक पवित्र बंधन माना जाता है। एक ऐसा बंधन, जिसे परिवार, रस्मों और वादों के साथ जोड़ा जाता है। लेकिन क्या करेंगे जब यह बंधन किसी झूठ की बुनियाद पर टिका हो? मान लीजिए शादी के बाद पता चले कि आपका जीवनसाथी पहले से शादीशुदा है या आपको धोखे से ‘हां’ कहलवाया गया है। ऐसे में तलाक नहीं, बल्कि ‘एनलमेंट’ एक रास्ता हो सकता है। यह ऐसा कानूनी तरीका है जो शादी को इस तरह खत्म कर देता है जैसे वह कभी हुई ही नहीं थी।

आज जानें अपने अधिकार कॉलम में हम एनलमेंट प्रक्रिया के बारे में जानेंगे। साथ ही जानेंगे कि-

  • किन आधारों पर शादी को रद्द किया जा सकता है?
  • एनलमेंट तलाक से कैसे अलग है?

शादी का एनलमेंट क्या है?

शादी के एनलमेंट का मतलब है कि विशिष्ट परिस्थितियों या कानूनी आधारों पर विवाह को अमान्य मानकर रद्द कर दिया गया है। बहुत आसान भाषा में ऐसे समझिए कि आपने बाजार से कुछ खरीदा, लेकिन बाद में पता चला कि यह नकली है। आप उसे लौटा देते हैं और दुकानदार मान लेता है कि सौदा हुआ ही नहीं था। इसी तरह एनलमेंट में भी होता है। इसके बाद व्यक्ति फिर से अविवाहित माना जाता है।

शादी कब रद्द हो सकती है?

हर शादी को रद्द नहीं किया जा सकता है। कानून को ठोस वजह चाहिए होती है। ये वजहें दो तरह की होती हैं:

  • वॉइड (शून्य) शादियां, जो अपने आप अमान्य हैं।
  • वॉइडेबल शादियां, जिन्हें अदालत रद्द कर सकती है।

वॉइड (शून्य) शादियां

ये शादियां कानून की नजर में कभी अस्तित्व में ही नहीं थी। इन्हें रद्द करने के लिए कोर्ट का फैसला जरूरी नहीं है, हालांकि सबूत के लिए लोग ऐसा करते हैं।

वॉइडेबल शादियां

ये शादियां तब तक सही मानी जाती हैं, जब तक कि कोई कोर्ट इन्हें रद्द करने का फैसला नहीं कर देता है। इसके लिए आपको ये साबित करना होता है:

कानूनी ढांचा क्या कहता है?

  • हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 हिंदू, बौद्ध, जैन और सिख धर्म के लोगों पर लागू होता है।
  • विशेष विवाह अधिनियम, 1954 अंतर्धार्मिक या कोर्ट मैरिज के लिए लागू होता है।
  • दोनों ही कानून शादी को रद्द करने के लिए विस्तृत आधार प्रदान करते हैं और कानूनी सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं।

तलाक और शादी के एनलमेंट में क्या फर्क है?

तलाक का मतलब है कि कानूनी रूप से वैध शादी को खत्म करना। जबकि शादी के एनलमेंट का मतलब है, ये मानना कि शादी कभी कानूनी रूप से अस्तित्व में ही नहीं थी। शादी को रद्द करने की अनुमति तब दी जाती है जब शुरू से ही शादी गलत आधार पर हुई हो, जैसे धोखा, ज़बरदस्ती या पहले से शादीशुदा होना। वहीं तलाक तब दिया जाता है जब शादी सही तरीके से हुई हो, लेकिन बाद में रिश्ते में क्रूरता, बेवफाई या छोड़ देने जैसे कारण सामने आए हों।

भारत में शादी के एनलमेंट की कानूनी प्रक्रिया क्या है?

शादी को रद्द कराने की प्रक्रिया में कुछ कानूनी कदम होते हैं। जानिए, यह प्रक्रिया कैसे पूरी की जाती है:

1. कानूनी सलाह लें

शादी को रद्द कराने से पहले किसी अनुभवी फैमिली लॉ (परिवार कानून) वकील से सलाह लें। वकील यह जांचेगा कि आपके पास शादी रद्द कराने के लिए सही कानूनी आधार है या नहीं, और केस की तैयारी में मदद करेगा।

2. याचिका तैयार कराएं और फाइल करें

एक अनुभवी वकील आपके लिए एक याचिका तैयार करता है, जिसमें यह लिखा होता है कि शादी रद्द क्यों करानी है, शादी की तारीख क्या है और आपके पास क्या सबूत हैं।

3. फैमिली कोर्ट में याचिका जमा करें

यह याचिका उस फैमिली कोर्ट में जमा की जाती है, जहां शादी हुई थी या जहां पति-पत्नी में से कोई एक रहता है।

4. पार्टनर को नोटिस भेजा जाता है

दूसरे जीवनसाथी को इस याचिका की जानकारी एक नोटिस के जरिए दी जाती है, जिसमें पहली सुनवाई की तारीख भी बताई जाती है।

5. कोर्ट में सुनवाई होती है

दोनों पक्ष अपने वकीलों के साथ कोर्ट में पेश होते हैं। कोर्ट सबूतों की जांच करता है, दोनों की दलीलें सुनता है और ज़रूरी गवाहों के बयान लेता है।

6. कोर्ट का फैसला यानी डिक्री मिलता है

अगर कोर्ट को लगता है कि आपके पास पुख्ता सबूत हैं, तो वह शादी को शून्य या अमान्य घोषित कर देता है। इसका मतलब है कि शादी को ऐसा माना जाएगा कि वो कभी कानूनी रूप से हुई ही नहीं थी।

इसके लिए जरूरी शर्तें क्या हैं?

  • वॉइडेबल शादियों के मामले में अर्जी गलती पता चलने के 1 साल के भीतर देनी होती है।
  • असलियात का पता चलने के बाद भी पति-पत्नी साथ रहते हैं या संबंध बनाते हैं तो शादी रद्द करना मुश्किल हो सकता है।
  • किसी सबूत के बिना सबूत के दावा कमजोर हो सकता है।
  • हर मामला अलग होता है, इसलिए सही सलाह के लिए कानूनी विशेषज्ञ से संपर्क करें।

यह क्यों जरूरी है?

विवाह रद्द करना सिर्फ कागजी बात नहीं है, यह अपनी जिंदगी को वापस पाने का रास्ता है। शादी पवित्र है, लेकिन झूठ पर टिकी शादी में फंसना गलत है। अपने हक जानें, वकील से मिलें और कदम उठाएं। आप कभी भी नई शुरुआत कर सकते हैं।

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