
3 घंटे पहलेलेखक: अदिति ओझा
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हर किसी को कभी-न-कभी कान में दर्द, खुजली या फिर कम सुनाई देने की शिकायत जरूर हुई होगी। सुबह-सुबह हेडफोन लगाकर गाना सुनना, नहाने के बाद कान अच्छे से न सुखाना या फिर कॉटन बड से जोर-जोर से साफ करना, ये सब हमारी रोज की आदतें हैं, लेकिन यही छोटी–छोटी आदतें हमारी सुनने की क्षमता को नुकसान पहुंचाती हैं।
2024 की लैंसेट कमीशन रिपोर्ट के मुताबिक, अनट्रीटेड हियरिंग लॉस से डिमेंशिया का खतरा 90% तक बढ़ जाता है और दुनिया भर में 8% डिमेंशिया के मामले इसी वजह से होते हैं। यानी कान सिर्फ सुनने के लिए नहीं, दिमाग को स्वस्थ रखने के लिए भी जरूरी हैं।
ऐसे में आज जरूरत की खबर में जानेंगे कि-
- रोजमर्रा की कौन-सी आदतें सुनने की क्षमता को नुकसान पहुंचाती हैं?
- इनसे कैसे बचें?
- कब डॉक्टर को दिखाना जरूरी है?
एक्सपर्ट: डॉ. अमित शर्मा, डायरेक्टर एवं सीनियर कंसल्टेंट, ईएनटी (नाक, कान, गला एक्सपर्ट), नारायणा हॉस्पिटल, गुरुग्राम
सवाल- सुनने की समस्या इतनी क्यों बढ़ रही है?
जवाब- लंबे समय तक शोर में रहना, तेज वॉल्यूम में इयरफोन लगाना, कान की गलत सफाई, स्ट्रेस, खराब खान-पान और प्रदूषण इसका सबसे बड़ा कारण है। कई बार लोग महीनों तक कान की जांच नहीं कराते, जिससे हल्की परेशानी भी आगे चलकर गंभीर हो जाती है। शहरी जीवन का रोज का 80–90 डेसिबल शोर भी धीरे-धीरे अंदरूनी हियरिंग सेल्स को नुकसान पहुंचाता है।
सवाल- रोज की कौन सी आदतें सुनने की क्षमता को नुकसान पहुंचाती हैं?
जवाब- रोजमर्रा की जिंदगी कि बहुत सी आदतें हियरिंग को नुकसान पहुंचाती हैं। नीचे ग्राफिक्स में देखिए-

इन पॉइंटर्स को विस्तार से समझते हैं।
कान में कुछ डालना (कॉटन स्वैब्स)
कान में कॉटन बड या कोई चीज डालने से वैक्स और गंदगी अंदर चली जाती है, कान की नसों या परदे को चोट लग सकती है, जिससे इंफेक्शन या सुनने में दिक्कत हो सकती है।
तेज आवाज में म्यूजिक सुनना
कॉन्सर्ट, डीजे या पर्सनल डिवाइस पर बहुत तेज म्यूजिक सुनने से अंदरूनी कान के हियरिंग सेल्स हमेशा के लिए खराब हो जाते हैं। एक बार खराब हुए तो वापस ठीक नहीं होते।
हेडफोन/इयरफोन का ज्यादा इस्तेमाल
60% से ज्यादा वॉल्यूम पर रोज 1 घंटे से अधिक सुनने से भी हियरिंग सेल्स धीरे-धीरे मरने लगते हैं। लोगों को ये नॉर्मल लगता है, लेकिन यह परमानेंट हियरिंग लॉस का कारण बन सकता है।
कान में ज्यादा वैक्स जमा होना
वैक्स कान को बचाता है, लेकिन बहुत ज्यादा हो जाए तो आवाज दबी-दबी आने लगती है और सुनाई कम देता है।
ट्रैफिक का शोर
शहरों में रोजाना गाड़ियों के हॉर्न, कंस्ट्रक्शन साइट्स और लगातार होने वाले दूसरे तेज शोर को सुनना धीरे-धीरे कानों पर असर डालता है। शुरुआत में यह सामान्य लग सकता है, लेकिन लंबे समय तक ऐसे शोर के संपर्क में रहने से सुनने की क्षमता कमजोर होने लगती है।
सोते समय ईयरबड्स लगाकर रखना
रात भर दबाव और आवाज, दोनों रहने से कान में इन्फेक्शन का खतरा बढ़ जाता है।
नहाने या स्विमिंग के बाद कान ठीक से न सुखाना
पानी कान में फंस जाए तो फंगल और बैक्टीरियल इन्फेक्शन हो सकता है, जिससे कान की नली खराब हो सकती है।
वर्कआउट के दौरान हेडफोन का इस्तेमाल
जिम पहले से ही शोरगुल भरा होता है, ऊपर से तेज हेडफोन लगाने से शोर दोगुना हो जाता है और नुकसान जल्दी होता है।
लाउडस्पीकर के नजदीक बैठना (शादी, कॉन्सर्ट, रैली में)
इन जगहों पर 100-120 डेसिबल तक आवाज होती है, जो तुरंत या कुछ दिनों बाद सुनने में दिक्कत पैदा कर सकती है।
नियमित जांच न कराना
कान की नियमित जांच न कराने से छोटी-छोटी परेशानियां समय के साथ बढ़कर बड़ी समस्याओं का रूप ले सकती हैं। साल में एक बार ईएनटी स्पेशलिस्ट से चेकअप करवाने से कई समस्याएं शुरुआती चरण में ही पकड़ में आ जाती हैं।
गलत खान-पान और सिडेंटरी लाइफस्टाइल
ज्यादा जंक फूड खाना, एक्सरसाइज न करना, ब्लड प्रेशर-शुगर बढ़ने से कान तक खून ठीक से नहीं पहुंचता और सुनने की क्षमता कम होती है।
ज्यादा स्ट्रेस लेना (क्रॉनिक स्ट्रेस)
लंबे समय का तनाव कान तक खून का फ्लो कम करता है और टिनिटस (कान में घंटी बजना) जैसी समस्या बढ़ा देता है।
शराब पीना और वेपिंग करना
शराब और वेपिंग से नसें सिकुड़ती हैं, कान तक ऑक्सीजन कम पहुंचती है, जिससे सुनने की क्षमता प्रभावित होती है।
सवाल- कौन सी आदतें अपनाकर इन समस्याओं से बचा जा सकता है?
जवाब- कुछ बेसिक, लेकिन सबसे जरूरी नियम हैं, जिन्हें हर उम्र के लोगों को फॉलो करना चाहिए ताकि कान स्वस्थ रहें और सुनने की क्षमता पर कोई असर न पड़े।
कान को सिर्फ बाहर से गीले कपड़े से साफ करें
कान अपने आप साफ होता रहता है। बाहर का हिस्सा गीले कपड़े से पोछें, कान के अंदर कुछ न डालें।
कान में कभी कुछ न डालें
चाबी, पिन आदि डालने से परदा फट सकता है या वैक्स अंदर चला जाता है।

नहाने/स्विमिंग के बाद कान अच्छे से सुखाएं
सिर एक तरफ झुकाकर पानी निकालें, हल्के से टॉवल से दबाएं। कान को अच्छे से सुखाएं।
तेज आवाज वाली जगहों पर ईयरप्लग/मफ्स पहनें
कॉन्सर्ट, शादी, रैली में कानों में फोम ईयरप्लग लगा लें। इससे 20-30 डेसिबल शोर कम हो जाता है। हेडफोन का वॉल्यूम 60% से कम रखें और 60 मिनट से ज्यादा न लगाएं। इससे हियरिंग सेल्स को आराम मिलता है और कानों को स्थायी नुकसान नहीं होता है।
रोज थोड़ी देर शांति में रहें
कान को रिकवर करने के लिए दिन में कुछ देर बिना किसी आवाज के रहें।
हेल्दी खाना खाएं और पानी ज्यादा पिएं
हरी सब्जियां, फल, नट्स और 8-10 गिलास पानी से कान तक खून और ऑक्सीजन अच्छे से पहुंचता है।
रोज एक्सरसाइज करें
रोज एक्सरसाइज करें। वॉकिंग और योगा से ब्लड सर्कुलेशन बढ़ता है और कान की कोशिकाएं स्वस्थ रहती हैं।
मेडिटेशन करें
10-15 मिनट गहरी सांस या मेडिटेशन से तनाव कम होता है और टिनिटस की समस्या नहीं बढ़ती।
धूम्रपान और शराब छोड़ें
स्मोकिंग और अल्कोहल से नसें सिकुड़ती हैं, कान तक खून कम जाता है। इसलिए इन आदतों से दूर रहें।
डायबिटीज, ब्लड प्रेशर कंट्रोल में रखें
इन बीमारियों से कान की नसें खराब होती हैं। इसे दवा और लाइफस्टाइल से कंट्रोल रखें।
रेगुलर ईयर चेकअप कराएं
समय–समय पर ईएनटी स्पेशलिस्ट से टेस्ट कराने से छोटी समस्या शुरू में पकड़ी जाती है और बड़ा नुकसान रुक जाता है।
ठंड में कान को मफलर/टोपी से ढकें
ठंड में कान को मफलर/टोपी से ढकना सिर्फ गर्म रखने के लिए नहीं होता, बल्कि यह ठंडी और तेज हवा से कान की नाजुक परतों को बचाता है।
ठंड लगने पर कान के अंदर की ब्लड वैसेल्स सिकुड़ जाती हैं, जिससे संक्रमण और ड्राइनेस का खतरा बढ़ता है। मफलर या टोपी कानों को गर्म रखकर इन समस्याओं से बचाते हैं।
सर्दी-जुकाम होने पर तुरंत इलाज कराएं
सर्दी नाक-गले से कान तक फैल सकती है। इसलिए जल्दी डॉक्टर को दिखाएं।

हमारी रोज की छोटी छोटी आदतें भी सुनने पर असर डालती हैं। शांत समय बिताना, हेल्दी खाना, पानी, योग-एक्सरसाइज और मेडिटेशन, ये सब आपके शरीर को बैलेंस रखते हैं। ये आसान स्टेप्स छोटे लग सकते हैं, लेकिन इनका असर बड़ा और लाइफ-चेंजिंग होता है।

सवाल- डॉक्टर को कब दिखाना चाहिए?
जवाब- अगर दर्द 24 घंटे से ज्यादा रहे, तेज बुखार आए, कान से खून या पीला पानी निकले तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं।

कान की सेहत से जुड़े कुछ कॉमन सवाल और जवाब
सवाल- क्या कान का दर्द जानलेवा हो सकता है?
जवाब- ज्यादातर मामलों में कान का दर्द अपने आप ठीक हो जाता है और खतरा नहीं होता। लेकिन बहुत ही दुर्लभ स्थिति में अगर इंफेक्शन को बिल्कुल नजरअंदाज किया जाए तो वह दिमाग की झिल्ली तक फैल सकता है। इसलिए छोटी सी तकलीफ को भी लंबे समय तक इग्नोर नहीं करना चाहिए।
सवाल- क्या वैक्स जमा होना बीमारी है?
जवाब- वैक्स कान की सुरक्षा के लिए होता है, लेकिन ज्यादा जमा हो जाए तो डॉक्टर द्वारा साफ कराना बेहतर है.
सवाल- कान के दर्द का घरेलू इलाज क्या है?
जवाब- अगर सर्दी-जुकाम या गले में खराश के साथ कान दर्द हो रहा है तो पहले उसका इलाज करें, दर्द अपने आप कम हो जाएगा। इसके अलावा–
- कान पर गर्म या ठंडी सेंक रखें।
- डॉक्टर की सलाह से कोई पेनकिलर ले सकते हैं।
- जिस तरफ दर्द है, उसकी उल्टी तरफ करवट लेकर सोएं।
- गर्दन को हल्के-हल्के घुमाएं, तनाव कम होगा तो दर्द भी कम होगा।
- डॉक्टर की सलाह से दर्द निवारक ईयर ड्रॉप्स इस्तेमाल कर सकते हैं।
- आराम ना मिलने पर नजदीकी डॉक्टर को कंसल्ट करें।
कान की सेहत का ध्यान रखना मुश्किल नहीं है। बस रोज की कुछ छोटी-छोटी आदतें बदल लीजिए। आपका सुनने का साथी जिंदगी भर साथ देगा।
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