
इजराइल के निरओज में रहने वाले लाइर और इटान अपने घर में बैठे थे। ये शहर हमास के कंट्रोल में रही गाजा पट्टी के करीब है। सुबह 6:29 बजे अचानक गाजा की ओर रॉकेट फायर होने लगे। इजराइल का डिफेंस सिस्टम एक्टिव हो गया। पूरे साउथ इजराइल में सायरन की आवाज आने ल
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उन्होंने लाइर और इटान को पकड़ा, बांधा और गाजा ले गए। ये लोग हमास के लड़ाके थे। हमास ने इजराइल पर सबसे बड़ा हमला किया था। तारीख थी 7 अक्टूबर 2023, हमास के लड़ाकों ने 1,200 से ज्यादा लोगों को मार डाला। लाइर और इटान की तरह 251 लोगों को बंधक बना लिया।
इस बात को 634 दिन हो गए। इजराइल ने हमास के साथ गाजा को भी बर्बाद कर दिया। लाइर घर लौट आए, लेकिन इटान जैसे 50 लोग अब भी गाजा में बंधक हैं। वे कहां हैं, किसी को नहीं पता।

हमास के हमले के बाद इजराइल ने गाजा पर हमला शुरू किया था। करीब 90% गाजा बर्बाद हो चुका है।
इजराइल में बंधकों को छुड़ाने के लिए प्रोटेस्ट हो रहे हैं। तेल अवीव में एक जगह का नाम ही होस्टेज स्क्वायर हो गया है। ये जगह तेल अवीव म्यूजियम के पास है। यहां लोग हर शनिवार को बंधकों की रिहाई और गाजा में युद्ध खत्म करने की मांग पर प्रोटेस्ट करने आते हैं।
वे अपने प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू से भी गुस्सा हैं। उन्हें लगता है कि नेतन्याहू जानबूझकर गाजा की जंग नहीं रोक रहे हैं। इसी जगह हमें लाइर, इटान और नामा की कहानी पता चली।
498 दिन हमास की कैद में रहे लाइर, टनल में मरते-मरते बचे लाइर और उनके भाई 38 साल के इटान को हमास के लड़ाकों ने किसी टनल में कैद करके रखा था। जनवरी 2025 में लाइर को रिहा कर दिया गया। 46 साल के लाइर अब भी लोगों के सामने बात नहीं कर पाते। लाइर घर लौटे थे, तब उन्होंने फैमिली को आपबीती सुनाई थी। लाइर की भाभी डालिया खुसनेर ने हमें टनल में फंसे होने का एक किस्सा सुनाया-
‘इजराइली आर्मी बमबारी कर रही थी। उस वक्त लाइर और इटान बाकी बंधकों के साथ एक टनल में कैद थे। बम गिरने से टनल का एक हिस्सा गिरने लगा। हमास के लड़ाकों ने बंधकों को खड़े होने के लिए कहा। टनल में ही दूसरी लोकेशन पर ले जाने लगे। हमारे हाथ-पैर बंधे थे।’
‘उसी हालत में वे कई घंटे हमें टनल के अंदर पैदल चलाते रहे। इटान बहुत बीमार था। चलते–चलते उसकी हालत खराब हो गई, वो टनल में ही बैठ गया।’
‘इटान ने लाइर से कहा कि तुम लोग भागकर जान बचाओ, मैं यहीं बैठा हूं। अगर मैं आगे चलूंगा तो वैसे भी मर जाऊंगा। लाइर ने उसे सहारा दिया और कहा कि तुम नहीं चलोगे तो मैं भी नहीं जाऊंगा। लाइर ने उसका हाथ पकड़ा और टनल में आगे ले गया।’

इटान और लाइर को 7 अक्टूबर 2023 को हमास ने बंधक बनाया और गाजा ले गए। इटान अब भी हमास की कैद में हैं।
सीजफायर डील के बाद हमास ने लाइर को छोड़ा लाइर को हमास ने जनवरी 2025 में सीजफायर डील के तहत रिहा कर दिया। 498 दिन बाद उन्होंने सूरज की रोशनी देखी। हमास के लड़ाके उन्हें टनल से बाहर लेकर आए। लाइर को इंटरनेशनल एक्सचेंज टीम को सौंप दिया गया। ये टीम लाइर को इजराइली डिफेंस फोर्स तक लेकर गई। मेडिकल चेकअप के बाद लाइर अपने घर आ गए। लाइर तो आ गए, लेकिन पीछे छूट गए 50 बंधक, जिनमें इटान भी हैं।
कोई बंधक घर लौटता है, तो खुश होता है। लाइर वापस आए, तो उन्हें अपराधी की तरह महसूस हुआ क्योंकि हमास ने उन्हें रिहा कर दिया, लेकिन भाई इटान को नहीं छोड़ा। लाइर अब भी कहते हैं कि इटान का हाथ पकड़ने के लिए अब वहां कोई नहीं है, इसलिए सरकार को उसे वापस लाने के लिए पहल करनी चाहिए।
लाइर की भाभी डालिया बताती हैं, ‘लाइर को हर सुबह महसूस होता है कि वो गाजा में ही हैं। वो खुद को आजाद महसूस नहीं कर पा रहे। लाइर मेंटल थेरेपी नहीं ले रहे। उनका कहना है कि मैं तब तक थेरेपी शुरू नहीं करूंगा, जब तक सारे बंधक वापस नहीं आ जाते।’

कई-कई दिन भूखे रहे, टॉर्चर झेला डालिया कहती हैं, ‘लाइर ने बताया कि हमास के लड़ाके हमें कई-कई दिन भूखा रखते थे। उन्होंने हमें बहुत टॉर्चर किया। टनल के अंदर हर जगह विस्फोटक भरे थे। वे हमारे साथ बहुत बुरा बर्ताव करते थे।’

ये लाइर और इटान की भाभी डालिया हैं। इटान की रिहाई के लिए होस्टेज स्क्वायर पर चल रहे प्रोटेस्ट में शामिल होती हैं।
लाइर को कैसे टॉर्चर किया गया? डालिया जवाब देती हैं, ‘अभी वो इस बारे में बात नहीं कर रहे हैं। हमने भी उनसे नहीं पूछा। उन आतंकियों ने छोटे बच्चों को ओवन में रखकर जला दिया, लाशों से रेप किया, महिलाओं को मार डाला, ये वही आतंकी हैं। उन्होंने क्या-क्या किया होगा, आप इसी से समझ सकते हैं।’
अब 21 साल की नामा की आपबीती नामा को हमास ने बंधक बनाया, तब वे सिर्फ 19 साल की थीं। रिहा होकर वापस आईं, तब 21की हो चुकी हैं। नामा को हमास के लड़ाकों ने नाखालोस बॉर्डर से कैद किया था। वो हमास के हमले से बचने के लिए बम शेल्टर में छिप गई थीं। हमास के लड़ाकों ने नामा और उनके दोस्तों को शेल्टर से निकालकर कैद कर लिया और गाजा ले गए। वे भी जनवरी 2025 में रिहा होकर लौटी हैं।

नामा के भाई अमित लेवी बताते हैं, ‘नामा शुरुआत से बहुत मजबूत थी। उसने हमास की कैद में भी अपनी हिम्मत नहीं टूटने दी। वो लौटकर घर आई, तब भी वो डरी नहीं थी। अब अपनी पुरानी जिंदगी में वापस आने की कोशिश कर रही है। उसे मेंटल थेरेपी दी जा रही है। फिर भी वो बंधकों की खबरें सुनती है, तो परेशान होने लगती है। उसे टनल में गुजारे बुरे पल याद आते हैं।’
नामा बताती हैं, ‘मैं टनल के अंदर कैद थी, तब हर दिन बंधकों को शिफ्ट किया जाता था। खाना-पानी भी नहीं मिलता था। मैं और मेरे दोस्त घायल भी हुए, लेकिन वे हमारा इलाज नहीं करते थे।’
होस्टेज स्क्वायर पर गाजा में जंग खत्म करने के नारे लाइर, नामा और इटान की कहानी हमें तेल अवीव के होस्टेज स्क्वायर पर मिली। यहां हर शनिवार को लोग बंधकों की आजादी के लिए प्रोटेस्ट करने आते हैं। यहूदियों के लिए ये दिन शब्बाद का होता है। वे इस दिन छुट्टी मनाते हैं। फिर भी हजारों लोग हर शनिवार 3 घंटे के लिए होस्टेज स्क्वायर आते हैं।
वे अलग-अलग तरीकों से अपना गुस्सा और दर्द जाहिर करते हैं। किसी ने रंगीन पत्थर पर बंधकों के नाम लिखे हैं, तो कोई फोटो के साथ कागज पर मैसेज लिखता है, कोई बंधकों की याद में गाना गाता है। यहीं बंधकों की याद में बनी एक टनल भी है।

इजराइल के लोगों ने बंधकों की याद में ये टनल बनाई है। इसमें बंधकों की फोटो लगी हैं।
लोगों का दर्द अब अपनी सरकार के लिए गुस्से में बदल रहा है। वे प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के खिलाफ भी प्रदर्शन कर रहे हैं। उनकी मांग है कि सरकार बंधकों को छुड़ाए, साथ ही गाजा में चल रही जंग भी खत्म करे।
हाइफा की टेक्नियन यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर रशेल राहेल प्रोटेस्ट में शामिल होने हर हफ्ते करीब 90 किमी दूर तेल अवीव आती हैं। वे कहती हैं ‘मैं जल्द से जल्द इजराइली बंधकों की वापसी चाहती हूं। एक साल पहले ही इस जंग का मकसद पूरा हो गया था। लगता है कि PM नेतन्याहू अपनी सत्ता बचाने के लिए युद्ध नहीं रोक रहे हैं। उनके सहयोगी दल कट्टर राष्ट्रवादी, अतिवादी और दक्षिणपंथी धार्मिक हैं। वे युद्ध जारी रखना चाहते हैं।’
‘इजराइली सरकार को गाजा में आम लोगों को नहीं मारना चाहिए। इस सरकार के कुछ लोग गाजा को यहूदियों की जमीन बनाना चाहते हैं। मुझे नहीं लगता कि ऐसा होना चाहिए। अगले साल चुनाव होंगे। उनका जीतना बहुत मुश्किल है।’

‘नेतन्याहू अपने स्वार्थ के लिए जंग कर रहे’ क्रिएटिव आर्टिस्ट गलिला नौकरी करती थीं। अब रिटायर हो चुकी हैं। गलिला जोर-जोर से नारे लगा रही थीं। हमने उनसे पूछा- आप यहां किसलिए आई हैं। वे कहती हैं- ‘मैं उन सभी सरकारों के खिलाफ प्रदर्शन कर रही हूं, जो युद्ध जारी रखने के लिए लोगों की जिंदगी ताक पर रख रहे हैं। बहुत मौतें हो चुकी हैं। हालांकि, हमने ये जंग शुरू नहीं की थी।‘
‘मैं हर शनिवार इसी मांग के साथ आती हूं कि बंधकों को वापस लाया जाए और युद्ध खत्म हो। गाजा में खून बहाना बंद करो। जिंदगी की कद्र करो। ये सरकार अपने स्वार्थ में युद्ध को खींच रही है। मैं गलत भी हो सकती हूं। सरकार पर यहूदियों को सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी है, वो बदले के लिए लोगों की जान ले रही है।’
‘आखिर सरकार को समझ क्यों नहीं आ रहा कि गाजा में युद्ध खत्म करने का वक्त आ गया है। मुझे अपनी सरकार से डर लगने लगा है। हम सुसाइड की तरफ बढ़ रहे हैं।’

डॉक्यूमेंट्री मेकर शेरॉन तेल अवीव में रहती हैं। वे 20 महीने से इजराइली बंधकों के लिए काम रही हैं। उन पर फिल्म बना रही हैं। उन्होंने इस आंदोलन को कैमरे में रिकॉर्ड किया है।
शेरॉन कहती हैं, ‘सरकार राजनीति में अंधी होकर अपने लोगों को भूल गई है। लोगों को उनके घर से अगवा किया गया और वे 20 महीने से वापस नहीं आए। ये हमारी जिम्मेदारी है कि सरकार को फैसले बदलने के लिए मजबूर करें। हमें ट्रम्प से उम्मीद है कि वे गाजा में युद्ध रोकने और बंधकों को वापस लाने में मदद करेंगे।’
‘मुझे नेतन्याहू पर भरोसा नहीं है। मुझे सिर्फ इजराइली आर्मी पर भरोसा है। नेतन्याहू अगर ईरान को हराने की बात कर रहे हैं तो अब तक गाजा में जंग क्यों चल रही है।’
हमने शेरॉन से पूछा कि आप इजराइल की सरकार को पसंद क्यों नहीं करतीं? वे कहती हैं ‘ये सरकार बहुत कट्टर है। उसके विचार रूढ़िवादी हैं।’

गाजा में इजराइल के 900 सैनिकों की मौत प्रदर्शनकारियों में बड़ी तादाद में नौजवान भी शामिल हैं। इजराइल में युवाओं को मिलिट्री ट्रेनिंग करना अनिवार्य है। लड़कों को 3 साल और लड़कियों को 2 साल सेना में सर्विस देनी होती है। इजराइली डिफेंस फोर्स में शामिल युवा गाजा में भी लड़ रहे हैं।
IDF के करीब 900 जवान गाजा में जान गंवा चुके हैं। बीते 24 जून को ही साउथ गाजा के खान यूनुस में ऑपरेशन के दौरान 7 इजराइली जवानों की मौत हो गई। एक तरफ बंधकों का सुराग नहीं मिल रहा, दूसरी तरफ इजराइली सेना गाजा में मुश्किलों में है। इस वजह से सरकार पर दबाव बढ़ रहा है।

इजराइली आर्मी में सर्विस देकर लौटे तोविएस भी प्रदर्शन में शामिल हैं। तोविएस कहते हैं कि ‘इजराइलियों की खासियत है कि हम अपने फंसे हुए लोगों को वापस लाते ही हैं।’

तोविएस की टीशर्ट पर हिब्रू में लिखा है- ‘मगजरीम ओटाइवा अक्शा’ यानी ‘उन्हें घर वापस लाओ- अभी।’ इसमें ‘अभी’ पर ज्यादा जोर है।
गाजा में इजराइली सैनिकों की मौत हो रही है, अभी पता नहीं कि ऑपरेशन कब पूरा होगा और बंधक कब वापस आएंगे। इस पर तोविएस कहते हैं, ‘गाजा की जंग सही है। मुझे लगता है कि अब बंधकों को वापस लाने के लिए युद्ध को बंद करना चाहिए। युद्ध तबाही लेकर आता है। इसमें कई लोगों की मौत हो रही है, लेकिन हमारे पास दूसरा विकल्प नहीं है।’
‘आपके सामने ऐसे आतंकी हों जो युद्ध चाहते हों, आम लोगों को ह्यूमन शील्ड बनाते हों, हॉस्पिटल में मिलिट्री बेस बनाते हों, अब भी लड़ना चाहते हों, तो युद्ध के अलावा कोई विकल्प नहीं बचता।’
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