Kolkata RG Kar Rape Murder; Trainee Doctor Family | Mamata Banerjee CBI | ‘अपराधियों के सिर पर ममता का हाथ, कैसे मिलेगा इंसाफ’: मां बोलीं- सिर्फ बेटी नहीं खोई, मैं हार गई; कोलकाता रेप-मर्डर केस का एक साल


‘9 अगस्त को मैंने सिर्फ बेटी नहीं खोई, बल्कि मैं हार गई। 33 साल की मेहनत, सपना और हमारा प्यार सब एक झटके में खत्म हो गया। उसी दिन बेटी से वादा किया था कि जब तक तुम्हें न्याय नहीं दिला दूंगी, तब तक बालों में कंघी नहीं करूंगी। पिछले एक साल से मैं आईने

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आरजीकर मेडिकल कॉलेज में रेप-मर्डर केस में जान गंवाने वाली ट्रेनी डॉक्टर की मां अब भी बेटी के लिए इंसाफ मांग रही हैं। इंसाफ में देरी के लिए पेरेंट्स ममता सरकार और CBI को जिम्मेदार बता रहे हैं। 9 अगस्त 2024 को हुई इस घटना में कोलकाता पुलिस ने संजय रॉय को गिरफ्तार किया था। बाद में केस CBI को ट्रांसफर कर दिया गया। CBI ने भी जांच में संजय रॉय को अकेला दोषी बताया।

CBI कोर्ट ने 18 जनवरी 2025 को संजय रॉय को दोषी करार दिया। 20 जनवरी 2025 को उसे उम्रकैद की सजा और 50,000 रुपए का जुर्माना सुनाया गया। हालांकि, विक्टिम की फैमिली फैसले से खुश नहीं है। उनका शक है कि इस घटना में संजय रॉय के अलावा कई और लोग भी शामिल थे। CBI ने अपना काम ठीक से नहीं किया।

विक्टिम के पिता ने सुप्रीम कोर्ट में रिट पिटीशन भी लगाई थी। जिसे 24 मार्च 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने कोलकाता हाईकोर्ट को ट्रांसफर कर दिया। इस घटना को एक साल बीतने पर दैनिक भास्कर की टीम ने कोलकाता पहुंचकर विक्टिम के पेरेंट्स से बात की। पढ़िए पूरा इंटरव्यू…

सियालदह कोर्ट में केस का ट्रायल 12 नवंबर 2024 को शुरू हुआ था, इसके 57 दिन बाद संजय रॉय को दोषी करार दिया गया।

सियालदह कोर्ट में केस का ट्रायल 12 नवंबर 2024 को शुरू हुआ था, इसके 57 दिन बाद संजय रॉय को दोषी करार दिया गया।

सवाल: कोर्ट के फैसले से संतुष्ट न होने के पीछे वजह क्या है? पिता: सियालदह कोर्ट के फैसले ने हमें मायूस किया है। CBI ने इन्वेस्टिगेशन के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया और न कोई ऐसी जानकारी दी। जितनी इन्वेस्टिगेशन कोलकाता पुलिस ने की थी, CBI ने भी वही की। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने आपत्ति भी जताई थी। सच पूछिए तो हमने कभी CBI इन्वेस्टिगेशन की मांग ही नहीं की थी। हम कोर्ट मॉनिटरिंग और इंडिविजुअल इन्वेस्टिगेटिंग एजेंसी से जांच चाहते थे। हालांकि, कोर्ट ने CBI पर भरोसा किया।

CFSL और मेडिकल रिपोर्ट में कई खुलासे हुए थे। उसके मुताबिक, मेरी बेटी के शरीर पर 6 लोगों का DNA मिला था, लेकिन पूरा सिस्टम सिर्फ संजय रॉय को दोषी करार देने में लगा रहा।

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CBI सच जानती है, लेकिन राजनीतिक दबाव, पैसे या किसी और कारणवश सबके सामने नहीं लाना चाहती। CBI ने पहले जवाब लिखे, फिर इन्वेस्टिगेशन की। उन्होंने सिर्फ संजय रॉय को अपराधी बनाकर पूरे मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया।

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CBI ने प्रिंसिपल रहे संदीप घोष को पकड़ा था, लेकिन सबूत नहीं दे पाई इसलिए छोड़ दिया गया। हमने कोलकाता हाईकोर्ट में रिट पिटीशन दायर की थी। उन्होंने CBI को आगे की इन्वेस्टिगेशन के लिए कोई गाइडलाइन नहीं दी। चार या पांच बार के बाद स्टेटस रिपोर्ट पर ध्यान नहीं दिया गया।

बाद में तत्कालीन CJI चंद्रचूड़ ने खुद इसे संज्ञान में लिया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट भी इस पर ध्यान नहीं दे रहा। उन्होंने मामला वापस कोलकाता हाईकोर्ट को लौटा दिया।

सवाल: संजय रॉय के अलावा आपको किस-किस पर शक है? पिता: संजय रॉय इस घटना में सिर्फ एक मोहरा था, जिसने मेरी बेटी के साथ दुष्कर्म और मर्डर की साजिश को अंजाम दिया। मुझे अब इससे फर्क नहीं पड़ता कि संजय को कितनी सजा मिलनी चाहिए। वो सच छिपा रहा है। मैं चाहता हूं कि इस साजिश में जो बाकी लोग शामिल थे, उनका पता चले, ट्रायल हो और उन्हें कड़ी से कड़ी सजा दी जाए।

केस में IO सीमा पाहुजा ने जांच के लिए कोई कदम नहीं उठाया। 27 दिसंबर 2024 को जब हमने कोलकाता हाईकोर्ट में रिट पिटीशन दायर की, वो कोलकाता से ही गायब हो गईं। उसकी टीम के DSP इंफाल में थे। उन्होंने कहा कि CCTV फुटेज 900 घंटे का है। वो अब तक उसे नहीं देख पाए हैं। वो हर बार स्टेटस रिपोर्ट देने आते हैं, तो यही बहाना बना देते हैं।

लोगों को ये भी जानना चाहिए कि 15 अगस्त को कॉलेज में परेड होनी थी। इसमें तृणमूल कांग्रेस (TMC) के नेता और पश्चिम बंगाल मेडिकल काउंसिल के अध्यक्ष सुदीप्तो रॉय का लड़का स्वस्तिक रॉय, अविक डे और अभिषेक शेल कॉलेज में आते-जाते थे।

प्रिंसिपल ने एक ऑर्डर निकालकर इन्हें कॉलेज में एंट्री दिलाई थी। मुझे लगता है इसके चलते ही उन्हें मेरी बेटी का मर्डर प्लान करने का समय मिला। CBI को हर कड़ी जोड़कर देखनी चाहिए थी। अगर वो ऐसा करती तो आज सब अपराधी हमारे सामने होते।

सवाल: क्या आपको लगता है कि CBI ने अपना काम ठीक से नहीं किया? पिता: 9 अगस्त को जब मैं बेटी को देखने अस्पताल पहुंचा तो वहां कोलकाता पुलिस सीपी विनीत गोयल, इंस्पेक्टर जनरल मुरलीधर शर्मा और बंगाल वुमन ग्रीवांस सेल की अध्यक्ष क्राइम सीन पर मौजूद थे। उनके साथ बैठकर 10 से 17 लोगों ने मीटिंग की। जब मैं पहुंचा, तो मुझे क्राइम सीन पर नहीं जाने दिया गया। विनीत गोयल ने जब तक ममता बनर्जी से बात नहीं कर ली, तब तक हम अपनी बेटी की लाश तक नहीं देख सके।

मैंने भी लॉ पढ़ा है। BNS में नियम कहता है कि घटना से पहले पीड़िता जिस भी किसी के साथ देखी गई, उसे हिरासत में लेकर पूछताछ करनी चाहिए। CBI ने वो भी नहीं किया। संजय रॉय, जिसे मुख्य आरोपी बताकर सजा सुनाई गई, उसने अदालत में जुर्म कबूल नहीं किया है। जिन दो लोगों (गुलाम और आर्को) को CBI ने पूछताछ के लिए बुलाया, उन्होंने किसी भी सवाल का सीधा जवाब नहीं दिया।

मुझे अविक डे पर पूरा शक है। वो क्रिमिनल किस्म का व्यक्ति है। वो भी इस मर्डर से जुड़ा हुआ है, लेकिन CBI ने उससे भी पूछताछ नहीं की। सुशांता रॉय तो कॉलेज का आदमी भी नहीं है। वो क्राइम सीन पर कैसे आ गया? लेकिन हमारे सवालों का आज तक जवाब नहीं मिला।

कॉलेज के काउंसलर ने मेरी बेटी के अंतिम संस्कार में जल्दबाजी की। अब देखिए वो पानीहाटी का चेयरमैन बन गया है। ममता बनर्जी ने उसे तोहफा दिया है। जब मेरी बेटी के साथ घटना घटी थी, वो पूरे समय ममता बनर्जी के साथ कॉल पर था। HOD सुमित तापदार ने आज तक हमसे बात नहीं की, जबकि कोर्ट में दिखाया गया कि हमारी सुमित तापदार से बात हो चुकी है। CBI ने ऐसा क्यों किया?

पहले तो हमें अधिवक्ता वृंदा ग्रोवर और CBI सुनवाई के दौरान कोर्ट भी नहीं जाने देती थी। एक बार CBI की IO सीमा पाहुजा मेरे घर आ गईं। उन्होंने साफ कहा कि आप कोर्ट के अंदर नहीं जा सकते। उन्होंने हमें बताया कि केस में क्या-क्या बोलना है। इसके बाहर अगर कुछ बोला तो जो एक अपराधी (संजय रॉय ) भी पकड़ा गया है, वो भी रिहा हो जाएगा।

सवाल: क्या आपने CM ममता बनर्जी, PM मोदी और राष्ट्रपति से बात की? पिता: हम ममता बनर्जी और राज्यपाल से मिले, लेकिन वे हमारी बात नहीं सुनना चाहते। ममता बनर्जी कहती हैं कि हमने अपराधी को पकड़ लिया है और उसे सजा दिलाई। हम इस बात पर अड़े रहे कि वो सिर्फ एक व्यक्ति है। इसके पीछे कई लोगों की साजिश है। इस मामले के और भी कई अपराधी हैं, लेकिन वो नहीं मानती।

हमारी मुख्यमंत्री क्रिमिनल लोगों को बढ़ावा देती हैं। संदीप घोष पैसों की उगाही करता है। जब घटना सामने आई तो संदीप घोष का सिर्फ ट्रांसफर किया गया। इससे सब साफ हो जाता है। एक साल पहले कॉलेज में जैसा सिस्टम था, वैसी ही अब भी बरकरार है।

हमने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, PM नरेंद्र मोदी और गवर्नर सीवी आनंद बोस को लेटर लिखा था। राष्ट्रपति का बस इतना ही जवाब आया कि वो इस घटना से दुखी हैं। PMO ने कहा कि गृह मंत्रालय इसे देखेगा। मैंने मंत्रालय में कॉन्टैक्ट करने की कोशिश की, लेकिन किसी ने जवाब नहीं दिया।

पिछले एक साल में बहुत कुछ बदल गया है। हमारी लड़ाई अदालत, सड़क और समाज में सब जगह चल रही है। हमारे पड़ोसी भी अब हमसे बात नहीं करते। बाजार में दिख भी जाएं तो मुंह मोड़ लेते हैं।

अब पढ़िए विक्टिम की मां ने क्या कहा…

सवाल: आपका पिछला एक साल कितना मुश्किल भरा रहा? मां: एक मां होने के नाते मेरा पिछला एक साल बहुत ही कष्ट में बीता है। अब सिर्फ हम पति-पत्नी ही बचे हैं। हमने पिछले एक साल में किसी तरह का कोई त्योहार नहीं मनाया। मेरी बेटी के साथ इतनी बड़ी घटना हो गई, लेकिन अपराधियों को किसी तरह की सजा नहीं हुई। इन्वेस्टिगेशन में कई कमियां हैं।

इससे अपराधियों का हौसला बढ़ रहा है। उन्हें पता है उनके सिर पर दीदी (ममता बनर्जी) का हाथ है। इस वजह से लोग खुलेआम ऐसे अपराधों को अंजाम दे रहे हैं।

पिछले एक साल में लोगों ने मुझसे कई बार कहा कि कोर्ट का फैसला आ गया है। अब आप लोग इसके लिए लड़ाई क्यों लड़ रहे हैं? आप दोनों की उम्र होती जा रही है। आप दोनों को पैसे ले लेना चाहिए, लेकिन मेरा सबको यही जवाब है कि क्या पैसा हमें न्याय दिला सकता है या हमारी बेटी की पीड़ा को कम कर सकता है?

इन सब को एक साल पूरे हो गए, लेकिन मैं अपने प्रण से पीछे नहीं हटूंगी। जब तक न्याय नहीं मिलेगा, मैं महिलाओं के लिए लड़ूंगी। मैं जब तक इस दुनिया में हूं, शासन की बुरी नीतियों के खिलाफ तब तक लड़ूंगी।

इतनी बड़ी घटना होने के बाद भी मैंने समाज में किसी तरह का कोई बदलाव नहीं देखा है। आज भी महिलाओं के साथ यही व्यवहार हो रहा है। अस्पतालों, शिक्षा विभाग और नौकरियों में रेप की घटनाएं बढ़ी हैं। साथ-साथ नौकरियां कम हुई हैं। रोजाना महिलाओं के साथ अत्याचार बढ़ता जा रहा है। हालात ये हैं कि यहां 12 साल की नाबालिग बच्ची भी सेफ नहीं है।

सवाल: इस मामले में संजय रॉय को दोषी ठहराया गया है। क्या आपको इन्वेस्टिगेशन पर शक है? मां: मेरी बेटी की मौत मेडिकल कॉलेज में ड्यूटी के वक्त हुई, जिसके लिए आरजीकर जिम्मेदार है। हमसे मैनेजमेंट ने कहा कि बेटी को रात 9.30 बजे देखा गया था, उसके बाद नहीं दिखी। जबकि वहां के डॉक्टर्स से बातचीत करने पर पता चला है कि वो रात में कभी भी ड्यूटी पर सोती ही नहीं थी।

रात 12 से सुबह 6 बजे तक जो चार लोग आखिरी बार बेटी के साथ थे, उसमें से भी सिर्फ दो लोगों से पूछताछ की गई। उन 4 लोगों ने हमसे आज तक संपर्क क्यों नहीं किया? आखिर इन लोगों को कौन संरक्षण दे रहा है? जिस दिन ये घटना हुई, उस दिन मौके पर डॉ. आर्को सेन चिल्ला रहे थे कि ये सुसाइड है। आप बताइए वो अर्धनग्न अवस्था में पड़ी मिली, क्या कोई इस हाल में सुसाइड करेगा? मेरी बेटी की बॉडी पर काटने के निशाने थे, वो कैसे आए।

इस घटना के बाद वाइस प्रिंसिपल ने तब प्रिंसिपल रहे संदीप घोष को जानकारी दी। ये सुनते ही संदीप घोष ने कहा कि बॉडी मुर्दाघर में भेज दो। भला उसके अंदर इतना साहस कहां से आया कि एक डॉक्टर की मौत पर उसके घर वालों को बताए बिना मुर्दाघर भेज दे। यहां तक कि उसे मुर्दाघर ले जाने की तैयारी भी कर ली गई थी।

सवाल: ममता बनर्जी से मुलाकात के दौरान आपकी क्या बात हुई? मां: मुख्यमंत्री हमारे घर आई थीं। उन्होंने हम दोनों से अकेले में बात की। उन्होंने कहा कि असली अपराधी को सजा हो गई है, लेकिन मेरा कहना यही था कि संजय रॉय असली अपराधी नहीं है। मेरा उनसे बस यही सवाल था कि एक सिविक वॉलंटियर ये कैसे जान गया कि मेरी बेटी वहां सोई है।

संजय रॉय तो बाहर का आदमी था। इस घटना में अस्पताल के ही किसी व्यक्ति का हाथ है। मुख्यमंत्री ने मेरी सारी बातें सुनीं। पुलिस वालों को आदेश दिया कि सख्ती से कार्रवाई की जाए, लेकिन आज तक कुछ नहीं हुआ है।

इस मामले में CBI ने प्रिसिंपल संदीप घोष को गिरफ्तार किया था, लेकिन उनके खिलाफ वो किसी तरह का कोई सबूत नहीं दे पाई। आज वो बेल पर बाहर आ गए हैं।

सवाल: क्या इस लड़ाई में बेटी का मंगेतर भी आप लोगों के साथ है? मां: मेरी बेटी बचपन से ही पढ़ने-लिखने में बहुत होशियार थी। डॉक्टर बनना उसका सपना था। महज 17 साल की उम्र में ही उसे MBBS में एडमिशन मिल गया था। पिछले साल नवंबर में उसकी शादी तय थी। हां, उसका मंगेतर आज भी हमारे साथ है। बस वो सबके सामने नहीं आना चाहता है।

शादी से पहले उन दोनों ने एक-दूसरे को MD में गोल्ड मेडल लाने के लिए कहा था। मेरी बेटी तो नहीं रही, लेकिन लड़का MD गोल्ड मेडलिस्ट बना। उस दिन वो हमारे घर आकर बहुत रोया। वो बार-बार कहता है कि आखिर तक वो हमारे साथ खड़ा रहेगा। वो हमारा बहुत ख्याल रखता है। ……………………………….

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‘हमारा परिवार बंगाल से दिल्ली काम करने के लिए आया, लेकिन यहां हमें परेशान किया जा रहा है। हम बंगाली बोलते हैं और मुस्लिम भी हैं। भाषा और धर्म के आधार पर हमें टारगेट किया जा रहा है। हमें बांग्लादेशी बताकर बेदखल क्यों किया जा रहा है। हम तो अपने देश में ही सुरक्षित नहीं हैं।‘ अमानुर शेख पश्चिम बंगाल के नदिया जिले से 20 साल पहले दिल्ली आ गए थे। अचानक बदले माहौल से परेशान हैं। पढ़िए पूरी खबर…

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