
8 घंटे पहले
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अंडा एक बेहतरीन सुपरफूड माना जाता है, जो प्रोटीन, विटामिन और मिनरल्स से भरपूर होता है। इसलिए नाश्ते में उबले, ऑमलेट या स्क्रैम्बल अंडे खाना लोगों की पसंदीदा आदत बन चुकी है। लेकिन सेहतमंद बनने की होड़ में कुछ लोग कच्चा या अधपका अंडा भी खाने लगे हैं। यह तरीका फिटनेस के शौकीनों में खासा लोकप्रिय हो रहा है। हालांकि यह पूरी तरह सुरक्षित नहीं माना जाता है। कच्चे अंडों में साल्मोनेला बैक्टीरिया हो सकते हैं, जो सेहत के लिए नुकसानदायक हैं। ऐसे में इस आदत से जुड़े जोखिमों और सावधानियों को बरतना जरूरी है।
इसलिए आज जरूरत की खबर में हम जानेंगे कि कच्चा और अधपका अंडा खाना क्यों नहीं चाहिए। साथ ही जानेंगे कि-
- अंडा खाते समय किन बातों का खास ध्यान रखना चाहिए?
एक्सपर्ट: डॉ. हरि प्रसाद यादव, गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट, मेदांता हॉस्पिटल, इंदौर
सवाल- कच्चे अंडे खाना सेहत के लिए कितना खतरनाक है?
जवाब- कच्चे अंडे खाना सेहत के लिए जोखिम भरा हो सकता है, खासकर अगर उनका साफ-सुथरे तरीके से रख-रखाव न किया गया हो। इनमें साल्मोनेला (Salmonella) नाम का खतरनाक बैक्टीरिया हो सकता है, जो पेट से जुड़ी कई गंभीर समस्याओं का कारण बन सकता है।
इसके अलावा कच्चे अंडे में मौजूद एक प्रोटीन ‘एविडिन’ बायोटिन (विटामिन B7) के अवशोषण में रुकावट डालता है, जिससे लंबे समय तक लगातार कच्चे अंडे खाने पर न्यूट्रिएंट्स की कमी हो सकती है।
सवाल- क्या अधपके अंडे भी उतने ही जोखिम भरे हैं?
जवाब- अगर अंडा पूरी तरह से नहीं पकाया गया है तो उसमें साल्मोनेला जैसे हानिकारक बैक्टीरिया जिंदा रह सकते हैं। खासकर जब जर्दी (yolk) अंदर से कच्ची या गीली रह जाती है तो फूड पॉइजनिंग का खतरा बना रहता है।
सवाल- अंडे में साल्मोनेला क्या होता है और यह कैसे नुकसान पहुंचाता है?
जवाब- साल्मोनेला एक प्रकार का हानिकारक बैक्टीरिया है, जो अक्सर कच्चे या अधपके अंडों में पाया जा सकता है। यह अंडे की बाहरी सतह (शेल) पर या अंदर की सफेदी और जर्दी में मौजूद हो सकता है, खासकर अगर अंडा संक्रमित मुर्गी से आया हो।
जब कोई व्यक्ति ऐसा अंडा खा लेता है तो यह बैक्टीरिया पेट में जाकर फूड पॉइजनिंग का कारण बनता है। इसके लक्षण 6 से 72 घंटे के भीतर दिखाई देने लगते हैं।
सवाल- कच्चे अंडे खाने से कौन-कौन सी बीमारियां हो सकती हैं?
जवाब- कच्चे अंडे खाने से शरीर को कई तरह की बीमारियों का खतरा हो सकता है, खासकर अगर अंडे साफ-सुथरे और अच्छी तरह से स्टोर नहीं किए गए हों। इसे नीचे दिए ग्राफिक से समझिए-

सवाल- कच्चे और पके अंडे में पोषण (nutrition) में क्या अंतर होता है?
जवाब- कच्चे और पके अंडे दोनों ही पोषण से भरपूर होते हैं, लेकिन जब बात न्यूट्रिएंट्स के अवशोषण (absorption) और सुरक्षा (safety) की आती है तो पके अंडे बेहतर माने जाते हैं। इसे इस ग्राफिक में देखिए-

सवाल- क्या कच्चा अंडा ज्यादा प्रोटीन या पोषक देता है?
जवाब- कच्चे अंडे में प्रोटीन की मात्रा तो पके अंडे जितनी ही होती है, लेकिन शरीर उसे उतना अच्छे से अवशोषित नहीं कर पाता है। कच्चे अंडे से सिर्फ 50-60% प्रोटीन ही शरीर में पहुंच पाता है, जबकि पके अंडे से 90% से ज्यादा प्रोटीन अच्छी तरह अवशोषित हो जाता है। इसके अलावा कच्चे अंडे में मौजूद एविडिन नामक तत्व बायोटिन (विटामिन B7) को भी रोक देता है, जिससे शरीर को इसका पूरा फायदा नहीं मिल पाता। इसलिए प्रोटीन और पोषण के लिहाज से पका अंडा ज्यादा फायदेमंद होता है।
सवाल- अंडे को सुरक्षित कैसे चुनें और स्टोर करें?
जवाब- अंडे को सुरक्षित तरीके से चुनना और स्टोर करना बहुत जरूरी है ताकि बैक्टीरिया, खासकर साल्मोनेला से बचा जा सके। इसके लिए इन बातों का ध्यान रखें।
- केवल साफ और बिना दरार वाले अंडे खरीदें।
- पैकेजिंग पर एक्सपायरी डेट जरूर देखें।
- अंडों को हमेशा फ्रिज में रखें, 4°C से कम तापमान पर।
- उन्हें डिब्बे में ही रखें, जिससे वो सूखे और सुरक्षित रहें।
- अंडे धोकर न रखें, इससे उनकी सुरक्षा परत हट सकती है।
- पकाए गए अंडे को भी 2 घंटे से ज्यादा कमरे के तापमान पर न छोड़ें।
- अगर अंडे से अजीब गंध आ रही है या वह तैर रहा है तो उसे न खाएं।

सवाल- क्या हाफ-फ्राई या सॉफ्ट बॉइल अंडे सुरक्षित होते हैं?
जवाब- हाफ-फ्राई या सॉफ्ट बॉइल अंडे स्वाद में भले ही अच्छे लगें, लेकिन पूरी तरह सुरक्षित नहीं माने जाते हैं। इनमें अंडे की जर्दी (yolk) और कभी-कभी सफेदी (white) भी अधपकी रह जाती है। इससे भी साल्मोनेला बैक्टीरिया के रहने की संभावना बनी रहती है। इसलिए अंडे को इस तरह पकाएं कि सफेदी और जर्दी दोनों अच्छी तरह से पक जाएं। अगर हाफ-फ्राई या सॉफ्ट बॉइल खाना पसंद है, तो पाश्चुचराइड अंडों को ही डाइट में शामिल करें।
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हमारे शरीर के लिए विटामिन्स और मिनरल्स के साथ प्रोटीन बहुत जरूरी होता है। नॉनवेज खाने वालों के लिए प्रोटीन के कई सोर्स हैं, लेकिन वेजिटेरियन लोगों के लिए प्रोटीन के सोर्स सीमित हैं। अधिकांश लोग प्रोटीन के लिए पनीर को प्राथमिकता देते हैं। हालांकि टोफू यानी सोया पनीर भी प्रोटीन का एक बेहतरीन सोर्स है। पूरी खबर पढ़िए…