
2 घंटे पहलेलेखक: शिवाकान्त शुक्ल
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यात्रा करना भला किसे पसंद नहीं होता है। ट्रिप का नाम सुनते ही हमारे दिमाग में नई जगहों, स्वादिष्ट खाने और रोमांचक अनुभवों की तस्वीरें आने लगती हैं।
हालांकि कुछ लोगों के लिए यात्रा हमेशा एक मजेदार अनुभव नहीं होता है क्योंकि अक्सर जैसे ही वे घर से बाहर निकलते हैं, उनका पेट मानो ‘स्ट्राइक’ पर चला जाता है। कब्ज, ब्लोटिंग, ऐंठन और असहजता पूरे ट्रिप का मजा किरकिरा कर देती है। यह एक कॉमन प्रॉब्लम है, जिसे ‘ट्रैवल कॉन्स्टिपेशन’ या ‘वेकशन कॉन्स्टिपेशन’ कहा जाता है।
नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन में पब्लिश एक रिपोर्ट के मुताबिक, लंबी यात्रा करने वाले लगभग 40–60% यात्रियों को ट्रैवल डायरिया की समस्या का सामना करना पड़ता है। हालांकि कुछ जरूरी सावधानियों को अपनाकर इस समस्या से काफी हद तक बचा जा सकता है।
तो चलिए, आज जरूरत की खबर में हम ट्रैवल कॉन्स्टिपेशन के बारे में विस्तार से बात करेंगे। साथ ही जानेंगे कि-
- यात्रा के दौरान कॉन्स्टिपेशन क्यों होता है?
- इससे राहत पाने के क्या उपाय हैं?
एक्सपर्ट: डॉ. अभिनव गुप्ता, कंसल्टेंट, गैस्ट्रोएंटेरोलॉजी, नारायणा हॉस्पिटल, जयपुर
सवाल- क्या यात्रा के दौरान कॉन्स्टिपेशन होना सामान्य है?
जवाब- गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट डॉ. अभिनव गुप्ता बताते हैं कि यात्रा के दौरान कॉन्स्टिपेशन होना काफी आम है। ये अक्सर तब होता है, जब हमारा रेगुलर बाउल रूटीन प्रभावित हो जाता है और हम 1–2 दिन तक समय पर शौच नहीं कर पाते हैं। इससे स्टूल सख्त हो जाता है और पेट में गैस, भारीपन, ब्लोटिंग और ऐंठन जैसी समस्याएं महसूस होने लगती हैं।

सवाल- ट्रैवल कॉन्स्टिपेशन क्यों होता है?
जवाब- यात्रा के दौरान रूटीन बिगड़ जाने, खाने-पीने की आदत बदलने, पानी कम पीने, लंबे समय तक बैठने, नींद पूरी न होने और टॉयलेट-पैटर्न में बदलाव के कारण आंतों की मूवमेंट धीमी पड़ जाती है। यही वजह है कि कई लोगों को ट्रिप पर कब्ज, ब्लोटिंग और गैस की समस्या हो जाती है। नीचे दिए ग्राफिक से इसके मुख्य कारणों को समझिए-

सवाल- ट्रैवल कॉन्स्टिपेशन के क्या लक्षण हैं?
जवाब- डॉ. अभिनव गुप्ता बताते हैं कि ट्रैवल कॉन्स्टिपेशन धीरे-धीरे शुरू होता है और लंबे समय में ये पूरे डाइजेस्टिव सिस्टम को प्रभावित करता है। इसलिए इसके लक्षणों को बिल्कुल भी इग्नोर न करें। जैसेकि-
- पेट में हल्का दर्द या असहजता।
- सामान्य समय पर शौच न होना।
- स्टूल का सख्त या सूखा होना।
- पेट में भारीपन या भरा-भरा महसूस होना।
- ब्लोटिंग, गैस या ऐंठन।
सवाल- किन लोगों को ट्रैवल कॉन्स्टिपेशन का रिस्क ज्यादा होता है।
जवाब- जिन लोगों को पहले से ही कॉन्स्टिपेशन, IBS, थायरॉइड, डायबिटीज, डिहाइड्रेशन या पाचन से जुड़ी दिक्कतें रहती हैं, उनमें ट्रैवल कॉन्स्टिपेशन का खतरा काफी बढ़ जाता है। इसके अलावा और भी कुछ लोग यात्रा के दौरान जल्दी इस समस्या की चपेट में आते हैं। जैसेकि-
- बुजुर्ग: उम्र बढ़ने के साथ पाचन धीमा होता है।
- बच्चे: इनकी दिनचर्या जल्दी बिगड़ती है और अक्सर ये पानी कम पीते हैं।
- गर्भवती महिलाएं: हॉर्मोनल बदलाव और ‘बाथरूम एंग्जाइटी’ के कारण लंबे समय तक वॉशरूम नहीं जा पाती हैं।
- पहले से बीमार लोग: रेगुलर दवाओं के साइड इफेक्ट से भी कॉन्स्टिपेशन हो सकता है।
सवाल- डिहाइड्रेशन किस तरह कॉन्स्टिपेशन का कारण बनता है?
जवाब- डॉ. अभिनव गुप्ता बताते हैं कि हां, सफर के दौरान अक्सर लोग पानी कम और चाय, कॉफी व कोल्ड ड्रिंक ज्यादा पीते हैं। इससे शरीर में फ्लुइड बैलेंस बिगड़ जाता है और स्टूल हार्ड हो जाता है। यही वजह है कि ट्रैवल के दौरान कब्ज की समस्या बढ़ जाती है।
सवाल- ट्रैवल कॉन्स्टिपेशन से बचने के लिए क्या करें?
जवाब- ट्रैवल कॉन्स्टिपेशन से बचने के लिए पर्याप्त पानी पीना और फाइबर युक्त डाइट लेना बेहद जरूरी है। इसके अलावा कोशिश करें कि रूटीन (खाने-सोने का समय) न बिगड़े। लंबे सफर में बीच-बीच में हल्की वॉक करें। कैफीन और जंक फूड कम लें और वॉशरूम को रोककर ना रखें। नियमित मूवमेंट और सही हाइड्रेशन पेट को एक्टिव रखते हैं और ट्रैवल कॉन्स्टिपेशन से बचाते हैं। इसके अलावा कुछ और बातों का भी ध्यान रखें। इसे नीचे दिए ग्राफिक से समझिए-

सवाल- ट्रैवल कॉन्स्टिपेशन आमतौर पर कितने समय तक रहता है?
जवाब- डॉ. अभिनव गुप्ता बताते हैं कि आमतौर पर ट्रैवल कॉन्स्टिपेशन 1-2 दिन में ठीक हो जाता है। लेकिन अगर 3-4 दिन से ज्यादा कब्ज रहे, बहुत तेज पेट दर्द हो, उल्टी आए तो तुरंत डॉक्टर से मिलें।
सवाल- सुबह का नाश्ता कॉन्स्टिपेशन से बचाने में कैसे मदद करता है?
जवाब- सुबह का नाश्ता शरीर की ‘बॉवेल क्लॉक’ को एक्टिव करता है। खासकर फाइबर युक्त नाश्ता (जैसे ओट्स, फल, होल ग्रेन) आंतों की मूवमेंट बढ़ाता है और पेट साफ करने में मदद करता है।
सवाल- अगर ट्रैवल कॉन्स्टिपेशन हो जाए तो क्या करें?
जवाब- डॉ. अभिनव गुप्ता बताते हैं कि इस स्थिति में घबराने की जरूरत नहीं है। ज्यादातर मामलों में यह समस्या ओवर-द-काउंटर (OTC) दवाओं से ठीक हो जाती है। सबसे पहले हाइड्रेशन और डाइट पर फोकस करें क्योंकि ये पाचन को तेजी से सुधारते हैं।
सवाल- किस स्थिति में डॉक्टर की सलाह लेना जरूरी है?
जवाब- अगर कब्ज 4-5 दिनों से ज्यादा समय तक रहे और इसके साथ गंभीर पेन, वॉमिटिंग, स्टूल में ब्लड, अब्डॉमिनल पेन या फीवर हो तो डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
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