
8 मिनट पहलेलेखक: शिवाकान्त शुक्ल
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सर्दियों के मौसम में बाजारों में वाटर चेस्टनट यानी सिंघाड़ा खूब देखने को मिलता है। पानी में उगने वाला यह कंद अपने अनूठे स्वाद और गुणों के लिए जाना जाता है।
आयुर्वेद में इसे पौष्टिक और ठंडी तासीर वाला कंद बताया गया है, जो कमजोरी दूर करने, पाचन सुधारने, शरीर की गर्मी संतुलित करने और हार्ट हेल्थ के लिए बेहद फायदेमंद है। वहीं न्यूट्रिशन साइंस भी सिंघाड़े को उसके हाई-फाइबर और एंटीऑक्सिडेंट कंटेंट की वजह से हेल्दी सुपरफूड मानता है।
‘द जर्नल ऑफ फाइटोफार्माकोलॉजी’ (TJP) में पब्लिश एक स्टडी के मुताबिक, सिंघाड़े में मैंगनीज, कॉपर और विटामिन B6 जैसे माइक्रोन्यूट्रिएंट भी भरपूर होते हैं, जो पाचन सुधारने, गट हेल्थ बेहतर बनाने, कोलेस्ट्रॉल और ब्लड शुगर संतुलित रखने में मदद करते हैं।
तो चलिए, आज जरूरत की खबर में हम सिंघाड़ा के हेल्थ बेनिफिट्स के बारे में बात करेंगे। साथ ही जानेंगे कि-
- सिंघाड़े में कौन-कौन से पोषक तत्व पाए जाते हैं?
- क्या ज्यादा सिंघाड़ा खाने के कोई साइड इफेक्ट्स भी हो सकते हैं?
- किन लोगों को सिंघाड़ा नहीं खाना चाहिए?
एक्सपर्ट: डॉ. पूनम तिवारी, सीनियर डाइटीशियन, डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान, लखनऊ
सवाल- सिंघाड़ा में कौन-कौन से पोषक तत्व पाए जाते हैं?
जवाब- यूनाइटेड स्टेट्स डिपार्टमेंट ऑफ एग्रीकल्चर (USDA) के मुताबिक, सिंघाड़े में फाइबर, पोटेशियम, मैग्नीशियम, मैंगनीज, फॉस्फोरस और कॉपर जैसे जरूरी मिनरल्स पाए जाते हैं। यह विटामिन B6, विटामिन E और विटामिन C का भी अच्छा सोर्स है।
साथ ही सिंघाड़ा लगभग फैट-फ्री होता है और कम कैलोरी में इंस्टेंट एनर्जी देता है। कुल मिलाकर विटामिन, मिनरल्स, एंटीऑक्सिडेंट और फाइबर का बेहतर कॉम्बिनेशन सिंघाड़े को सर्दियों का बेहतरीन सुपरफूड बनाता है। नीचे दिए ग्राफिक से 100 ग्राम सिंघाड़े की न्यूट्रिशनल वैल्यू समझिए-

सवाल- सिंघाड़ा हमारी सेहत के लिए कितना फायदेमंद है?
जवाब- सिंघाड़े में मौजूद फाइबर, पोटेशियम, एंटीऑक्सिडेंट्स और विटामिन C पाचन सुधारने, ब्लड शुगर कंट्रोल करने, शरीर को एनर्जेटिक बनाए रखने और हार्ट हेल्थ को सपोर्ट करने में मदद करते हैं। इसका हाई-वाटर कंटेंट शरीर को हाइड्रेटेड रखता है, जबकि एंटीऑक्सिडेंट्स सूजन कम करने और सेल डैमेज से बचाने में मदद करते हैं।
लो-कैलोरी और ग्लूटन-फ्री होने के कारण सिंघाड़ा वेट लॉस, स्किन हेल्थ और गट हेल्थ के लिए भी फायदेमंद है। इसका नियमित और संतुलित मात्रा में सेवन कई बीमारियों के खतरे को कम करता है।
इंटरनेशनल जर्नल ऑफ प्लांट एंड सॉइल साइंस (IJPSS) में पब्लिश एक स्टडी के मुताबिक, सिंघाड़ा अपने रिच न्यूट्रिशन और फाइटोकेमिकल प्रोफाइल की वजह से कई तरह के हेल्थ बेनिफिट्स देता है। नीचे दिए ग्राफिक से इसे समझिए-

सवाल- कच्चा या उबला हुआ कौन सा सिंघाड़ा खाना ज्यादा फायदेमंद है?
जवाब- दोनों ही रूप में सिंघाड़ा पौष्टिक होता है। कच्चे सिंघाड़े में न्यूट्रिशन ज्यादा सुरक्षित रहते हैं। इसकी नेचुरल मिठास बरकरार रहती है। वहीं बॉयल करने पर ये कम हो सकते हैं। हालांकि उबालने से यह और हल्का व आसानी से पचने योग्य हो जाता है।
ये उन लोगों के लिए अच्छा है, जिन्हें कमजोर पाचन, गैस या ब्लोटिंग की समस्या रहती है। उबालने से बैक्टीरिया या मिट्टी की अशुद्धियां खत्म हो जाती हैं, इसलिए ये ज्यादा सुरक्षित माना जाता है। इसे दोनों ही तरह से खाया जा सकता है। इसे हमेशा ताजा और अच्छी तरह धोकर ही खाएं।
सवाल- सिंघाड़े को अपनी डाइट में कैसे शामिल कर सकते हैं?
जवाब- सिंघाड़े को कच्चा, उबला, भुना या आटे के रूप में कई तरह से अपनी डाइट में शामिल किया जा सकता है। जैसेकि-
- कच्चा, छीलकर
- उबालकर या हल्का भूनकर
- सलाद या फ्रूट चाट में डालकर
- सब्जी या करी में डालकर
- स्टर-फ्राई करके
- स्मूदी, खीर और डेजर्ट में डालकर
- सिंघाड़े के आटे से रोटी, चीला, पकोड़ा या व्रत वाले पकवान बनाकर
सवाल- क्या ज्यादा सिंघाड़ा खाने के कोई साइड इफेक्ट्स भी हैं?
जवाब- सिंघाड़ा सामान्य रूप से सुरक्षित और हेल्दी फूड है, लेकिन इसे ज्यादा खाने से कुछ लोगों को समस्याएं हो सकती हैं। इसके कुछ संभावित साइड इफेक्ट्स हैं। जैसेकि-
- इसे ज्यादा खाने से कुछ लोगों को डाइजेस्टिव इश्यू को सकता है।
- सिंघाड़ा लो-ग्लाइसेमिक इंडेक्स फूड है, फिर भी इसे ज्यादा खाने से कार्ब्स की वजह से ब्लड शुगर थोड़ा बढ़ सकता है।
- कुछ लोगों को सिंघाड़े से एलर्जी भी हो सकती है।
- अगर सिंघाड़ा पानी से सीधा निकाला गया हो और ठीक से साफ न किया गया हो तो उसमें मौजूद बैक्टीरिया या गंदगी की वजह से पेट खराब हो सकता है।
- जिन लोगों का किडनी फंक्शन कमजोर है, उन्हें ज्यादा पोटेशियम नुकसान पहुंचा सकता है।

सवाल- एक दिन में कितना सिंघाड़ा खाना सुरक्षित है?
जवाब- सीनियर डाइटीशियन डॉ. पूनम तिवारी बताती हैं कि एक स्वस्थ व्यक्ति के लिए 8-10 (कच्चे या उबले हुए) सिंघाड़े प्रतिदिन खाना पर्याप्त है। व्रत के दौरान सिंघाड़े के आटे से बना खाना भी ठीक है, लेकिन 2 चपाती या 1 कटोरी हलवा से ज्यादा नहीं।
सवाल- क्या डायबिटिक लोग भी सिंघाड़ा खा सकते हैं?
जवाब- हां, डायबिटिक लोग सिंघाड़ा खा सकते हैं, लेकिन हमेशा मॉडरेशन में। सिंघाड़े का ग्लाइसेमिक इंडेक्स (GI) कम होता है। इसलिए इसके कार्बोहाइड्रेट धीरे रिलीज होते हैं, जिससे ब्लड शुगर में तेजी से उछाल नहीं आता है। लेकिन इसे सीमित मात्रा में ही लेना चाहिए।
सवाल- क्या बच्चों को सिंघाड़ा दिया जा सकता है?
जवाब- डॉ. पूनम तिवारी बताती हैं कि हां, बड़े बच्चों दे सकते हैं। बेहतर है कि उन्हें उबला हुआ सिंघाड़ा या इसके आटे से बनी चीजें दें, जिससे गले में फंसने का रिस्क न हो। बड़े बच्चों के लिए 2–3 उबले सिंघाड़े पर्याप्त हैं।
सवाल- किन लोगों को सिंघाड़ा नहीं खाना चाहिए?
जवाब- वैसे तो सिंघाड़ा सभी के लिए सुरक्षित है, लेकिन कुछ लोगों को इसे सावधानी से या बिल्कुल नहीं खाना चाहिए। जैसेकि-
- किडनी डिजीज से पीड़ित लोगों को।
- फूड एलर्जी वाले लोगों को।
- क्रॉनिक डाइजेस्टिव इश्यू वाले लोगों को।
- छोटे बच्चों को कच्चा सिंघाड़ा नहीं देना चाहिए।
- जिन लोगों की लंबे समय से दवा चल रही हो, उन्हें सिंघाड़ा देने से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर लें।
सवाल- सिंघाड़ा खरीदते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
जवाब- कई बार बाजार में खराब सिंघाड़े मिल जाते हैं। ऐसे में इसे खरीदते समय कुछ बातों का खास ख्याल रखें। जैसेकि-
- सख्त और ठोस सिंघाड़े ही चुनें। नरम, दबे हुए या पानीदार सिंघाड़े बासी हो सकते हैं।
- इसकी बाहरी सतह चिकनी और समान रंग वाली होनी चाहिए। काले दाग, फफूंदी या दरारें दिखाई दें तो न खरीदें।
- ताजा सिंघाड़े का छिलका सूखा होता है और हाथ में लेते ही पता चल जाता है।
- गंदे पानी वाले सिंघाड़े से बचें।
- वजन में हल्के और खोखले लगने वाले सिंघाड़े अंदर से सूखे हो सकते हैं, इसलिए उन्हें न खरीदें।
- अगर सिंघाड़े का आटा खरीद रहे हैं तो मैन्यूफैक्चरिंग डेट, पैकिंग और ब्रांड की विश्वसनीयता जरूर देखें।
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