
‘2025 तक यमुना को पूरी तरह साफ कर देंगे। हमारी सरकार इसके लिए कई योजनाओं पर काम कर रही है। 2025 के बाद आप यमुना में डुबकी लगा सकेंगे।’
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दिल्ली के पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल ने 2021 में ये वादा किया, लेकिन पूरा नहीं कर पाए। 2025 के विधानसभा चुनाव से पहले केजरीवाल ने माना भी कि वो वादा पूरा नहीं कर पाए। इसी बीच यमुना की सफाई का एक वादा BJP ने भी किया। AAP सरकार से जनता की नाराजगी BJP के लिए वोटों में तब्दील हुई। 27 साल बाद BJP ने दिल्ली में सरकार बनाई।
BJP सरकार ने यमुना की सफाई को प्राथमिकता बताते हुए पहले बजट में 500 करोड़ रुपए भी अलॉट किए। दिल्ली की सीएम रेखा गुप्ता लगातार ग्राउंड पर पहुंचकर नालों की सफाई का काम देख रही हैं। हालांकि 24-26 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट से नदी में गंदा पानी जा रहा है। वहीं, यमुना में गिरने वाले सभी 27 नाले खराब हालत में हैं।
दिल्ली में BJP सरकार के 2 महीने पूरे होने पर दैनिक भास्कर भी दिल्ली के अलग-अलग इलाकों में पहुंचा और यमुना की सफाई का हाल जाना। पढ़िए पूरी रिपोर्ट….

दिल्ली का ITO घाट… लोग बोले- नाले बंद नहीं हुए तो यमुना का साफ होना मुश्किल सबसे पहले हम दिल्ली के ITO घाट पहुंचे। यहां यमुना में बड़ी-बड़ी मशीनें लगी दिखीं, जिससे गाद और कचरा निकाला जा रहा है। घाट के किनारे काफी कचरा फैला हुआ है। दो महीने से लगातार सफाई के बावजूद पानी गंदा ही नजर आ रहा है।
यहां हमें सहाना मिलीं, जो पिछले 40 साल से इसी इलाके में रह रही हैं। वो साफ-सफाई का काम करती हैं। सहाना कहती हैं , ‘दो महीने से मशीन चल रही है, इससे सुधार तो हुआ है। आज से तीन साल पहले भी यहां मशीन लगी थी। अब तुरंत तो स्थिति नहीं बदलती, धीरे-धीरे ही बदलेगी। जब तक नाले बंद नहीं होंगे, तब तक यमुना साफ नहीं होगी।‘
हम 15-20 साल पहले इसी यमुना का पानी पीते थे। अब तो पानी बिल्कुल काला हो चुका है। मना करने के बावजूद लोग कचरा फैलाते हैं। कोई नहीं मानता है, आप किससे-किससे लड़ेंगे।

यहीं हमारी मुलाकात उर्मिला से हुई। वे कहती हैं, ‘मशीन चलने से सफाई तो हुई है, बहुत सारा कचरा निकाला गया है। पहले यहां बहुत ज्यादा कचरा था। अगर लोग ऐसे ही कूड़ा डालते रहेंगे तो यही हाल रहेगा। नदी का पानी इतना गंदा है कि इसे इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं।‘

निगम बोध घाट… पानी में इतनी बदबू, घाट पर खड़ा होना मुश्किल इसके बाद हम कश्मीरी गेट इलाके में निगम बोध घाट पहुंचे। यहां पानी से तेज बदबू आ रही थी। स्थिति ऐसी कि नदी के किनारे आप थोड़ी देर भी रुक नहीं सकते। इसके बावजूद यहां अच्छी-खासी आबादी रह रही है।
घाट पर हमें 70 साल की सरला मिलीं। वे बताती हैं कि पानी ठहरा हुआ है, इसलिए बदबू है। जब हमने पूछे कि पिछले दो महीने में नदी की सफाई का कोई काम हुआ है? इसके जवाब में सरला कहती हैं, ‘दो महीने पहले यहां भी पानी बहुत गंदा था। कीचड़ ही कीचड़ था। कीचड़ तो अब भी है, लेकिन बदलाव भी आया है। यहां एक महीने पहले मशीन चल रही थी, कचरा निकाला गया है।‘
घाट पर ही हम नाव चलाने वाले बबलू से भी मिले। वे बताते हैं कि चुनाव खत्म होने के बाद 5-6 दिन कूड़ा निकालने के लिए मशीन चली थी। इसके अलावा अभी सफाई का और कोई काम नहीं हुआ है, आप देख ही रहे हैं।

कालिंदी कुंज घाट… बैराज बनने के बाद से यमुना का ये हाल हुआ भोला कश्यप सालों से कालिंदी कुंज घाट के किनारे रह रहे हैं। वे नाव चलाते हैं। इस इलाके में बीते दो महीनों में सफाई का कुछ काम हुआ या नहीं? इस पर भोला कहते हैं, ‘यहां अभी कोई काम नहीं हुआ। NGO वाले आकर प्लास्टिक और दूसरी चीजें हटाते हैं। अभी यहां कोई मशीन वगैरह नहीं आई है। न सरकार के लोग ही आए। आम आदमी पार्टी के समय भी यहां कुछ काम नहीं हुआ।‘
55 साल के भोला अपने स्कूल के दिनों को याद करते हुए बताते हैं, ‘तब हम लोग यमुना का ही पानी पीते थे। पहले बहुत साफ पानी था, मछलियां रहती थीं। 1990 के बाद से इसका पानी गंदा हुआ है। बैराज बनने के बाद से नदी इतनी गंदी हुई।’
अब इसमें वही लोग नहाते हैं, जिनकी श्रद्धा है। सिर्फ बारिश के मौसम में तीन-चार महीने नदी थोड़ी साफ रहती है। फिर इसे नाला ही समझिए।


द्वारका में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (STPs) का हाल… प्लांट से भी निकल रहा गंदा पानी, यही यमुना में मिल रहा सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट का हाल देखने के लिए हम दिल्ली के द्वारका में पप्पन कलां इलाके गए। यहां की एक एसटीपी से हमें काफी गंदा पानी निकलता दिखा। ट्रीट किया हुआ ये पानी नजफगढ़ नाले (साहिबी नदी) में पहुंचता है। फिर वही पानी यमुना में आकर मिलता है।
हम यमुना की सफाई के लिए काम करने वाले एक वॉलंटरी ऑर्गनाइजर ‘अर्थ वॉरियर’ के पंकज कुमार से मिले। वे पिछले 6 साल से यमुना पर काम कर रहे हैं। पंकज कहते हैं कि जब तक आपका ट्रीटमेंट प्लांट सही नहीं होगा, तो ग्राउंड पर चीजें सही नहीं होने वाली हैं।
पंकज बताते हैं, ‘नियमों में साफ लिखा है कि ट्रीट किया हुआ पानी बिल्कुल पारदर्शी होना चाहिए। उसमें कलर नहीं होना चाहिए, लेकिन यहां ऐसा नहीं है। पानी में प्रदूषक तत्व पूरी तरह से नहीं निकाले गए हैं।‘

वे आगे कहते हैं, ‘एसटीपी को लेकर पर्यावरण मंत्रालय की गाइडलाइन में लिखा है कि अगर 30 BOD भी है, तो उसमें रंग नहीं होना चाहिए। नहाने के लिए BOD 3 मिलीग्राम प्रति लीटर होनी चाहिए। पीने के पानी में BOD नहीं होनी चाहिए। अगर नदी का पानी है, तो आचमन के लिए कम से कम BOD 2 मिलीग्राम प्रति लीटर होनी चाहिए। वो भी डिसइन्फेक्ट करके ही पी सकते हैं। यमुना नदी की BOD 70-72 पहुंच जाती है।‘
‘फीकल कोलीफॉर्म बैक्टीरिया का लेवल नदियों में 2,500 MPN (मोस्ट प्रोबेबल नंबर) प्रति 100 मिलीलीटर होना चाहिए, लेकिन फरवरी में यमुना में इसका स्तर एक करोड़ 60 लाख MPN था। यानी वो पानी किसी लायक नहीं है। ये बैक्टीरिया हम इंसानों या जानवरों के मल में पाया जाता है। इसकी ज्यादा मात्रा होने से पानी प्रदूषित माना जाता है।

अब भी 10-12 STP से ही साफ पानी निकल रहा, बाकी से गंदा इसके बाद हम पप्पन कलां इलाके में दूसरी साइट पर गए। इसे पप्पन कलां न्यू एसटीपी कहा जाता है। यहां हमें एसटीपी से निकल रहा पानी काफी साफ नजर आया। यहां का पानी भी नजफगढ़ नाले में जाकर मिलता है।
पंकज कहते हैं, ‘मैं पिछले 2 साल से इस एसटीपी को देख रहा हूं। तब से यहां का पानी साफ ही दिख रहा है। रिठाला में भी एसटीपी सही काम कर रही है। ऐसी 10-12 एसटीपी ही हैं, जो अच्छा काम कर रही हैं। बाकी सभी से गंदा पानी निकल रहा है।‘
दिल्ली के नालों की रिपोर्ट… यमुना में गिरने वाले 27 में से 9 नाले बेहद खराब हालत में 7 अप्रैल को डीपीसीसी ने यमुना में गिरने वाले उन सभी 27 नालों की रिपोर्ट जारी की। इससे पता चलता है कि BOD के तय मानक (30 मिलीग्राम प्रति लीटर) पर एक भी नाला खरा नहीं उतरता है। इनमें से कुछ नाले, जैसे- सोनिया विहार ड्रेन, साहिबाबाद ड्रेन, शाहदरा ड्रेन, जैतपुर ड्रेन की हालत सबसे ज्यादा खराब है। इनका बीओडी 100 के पार है। 27 नालों में से इन 9 नालों में इतना फ्लो भी नहीं था कि वहां से सैंपल लिया जा सके।
पिछले दो महीने से नालों से गाद और कचरा निकालने का काम जारी है। इस पर सीनियर एनवायर्नमेंटलिस्ट दीवान सिंह कहते हैं, ‘गाद निकालने का तर्क तभी बनता है, जब आप पीछे से गंदा पानी डालना बंद करोगे। नहीं तो जो गाद हटाएंगे, वो गंदे पानी से फिर बनेगी। प्राथमिकता ये होनी चाहिए कि गंदे नाले नदी में ना डाले जाएं।‘
पप्पन कलां इलाके में हमने देखा कि गाद को नजफगढ़ नाले के किनारे ही डंप कर दिया गया है। इस पर पंकज कुमार कहते हैं, ‘इस तरह गाद निकालने से कोई फायदा नहीं होने वाला है। सरकार का गाद निकालने का काम अच्छा है। इससे नदी की गहराई बढ़ेगी। पानी का फ्लो बढ़ेगा, लेकिन नालों के किनारे ही गाद डंप किया जा रहा है। बारिश में फिर से वही गाद पानी में मिल जाएगी। सरकार को ये भी देखना चाहिए कि इन गाद को हम कितना प्रोसेस कर पा रहे हैं।‘

2025-26 के बजट में भी दिल्ली सरकार ने यमुना की सफाई के लिए 500 करोड़ रुपए का बजट रखा है। इससे मौजूदा सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स को सही किया जाएगा।
यमुना की सफाई के लिए 3,140 करोड़ रुपए मंजूर 16 अप्रैल को दिल्ली सरकार की एक्सपेंडिचर फाइनेंस कमेटी (EFC) की पहली बैठक हुई थी, जिसमें दिल्ली की सीएम रेखा गुप्ता भी शामिल रहीं। इसमें 27 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के कंस्ट्रक्शन और यमुना को साफ करने सीवरलाइन बिछाने के लिए 3,140 करोड़ रुपए की मंजूरी दी गई। इसके एक दिन बाद 17 अप्रैल को यमुना की सफाई को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी बैठक ली, जिसमें ‘अर्बन रिवर मैनेजमेंट प्लान’ तैयार करने का फैसला लिया गया।
यमुना की सफाई को लेकर सरकार और क्या कर रही है, ये जानने के लिए हमने दिल्ली के पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा और जल मंत्री प्रवेश वर्मा से कॉन्टैक्ट करने की कोशिश की। अब तक हमें उनका कोई जवाब नहीं मिला। हमने उन्हें ई-मेल के जरिए भी कुछ सवाल भेजे, लेकिन स्टोरी लिखे जाने तक जवाब नहीं मिला। जवाब आने पर हम स्टोरी में अपडेट करेंगे।

यमुना में 80% समस्या सीवेज से, ये बंद होगा तभी नदी साफ होगी एनवायर्नमेंटलिस्ट दीवान सिंह कहते हैं, ‘अंग्रेजों की नीति थी कि शहर का विकास करके यहां का जितना भी सीवेज या वेस्ट पानी है, उसे नदी में डाल दिया जाए। यही नीति हमने भी आगे बढ़ाई। पहले सीवेज की मात्रा कम थी क्योंकि शहर की आबादी कम थी। इसलिए सीवेज जाने के बाद भी यमुना ज्यादा गंदी नहीं थी। 1984 के बाद दिल्ली की आबादी तेजी से बढ़ी, तो यमुना भी गंदी होनी शुरू हुई।‘
नदी में अपना पानी बचा ही नहीं है, नाले का पानी ही है। कायदे से देखें तो वो नदी नहीं है। वजीराबाद बैराज के बाद यमुना में साफ पानी कहीं नहीं दिखा। नदी का अपना इकोलॉजिकल फ्लो नहीं है।

‘1993 में यमुना एक्शन प्लान आया था। मकसद यही था कि यमुना साफ करनी है। तब से BJP, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी की सरकार जा चुकी है। ये साफ है कि पॉलिटिशियन झूठे वादे ही कर रहे हैं। पहली बार हुआ कि ये एक चुनावी मुद्दा बना है और जनता के जेहन में है। अब उम्मीद कर रहे हैं कि यमुना की सफाई सरकार की मजबूरी बन जाएगी।‘
यमुना के अभी के हाल को लेकर पंकज बताते हैं, ‘उत्तराखंड और हरियाणा में नदी की हालत ठीक है। दिल्ली के पल्ला में जब यमुना आती है, तब भी नदी की हालत ठीक रहती है।‘

‘80% समस्या इसी वेस्ट वाटर से आ रही है। इसके अलावा वजीराबाद बैराज में पानी का फ्लो बढ़ाना होगा. तब जाकर स्थिति थोड़ी ठीक हो सकती है। तभी BOD कम होगा।
क्या यमुना नदी साफ हो सकती है? इस पर दीवान कहते हैं, ‘सारे सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट सही से काम करें, जिसके लिए वो डिजाइन किए गए हैं। जहां-जहां एसटीपी नहीं हैं, जहां बिना ट्रीट हुआ पानी नालों में जा रहा है और नाले यमुना में जा रहे हैं। ऐसे पानी को ट्रीट करके ही यमुना में डालें।‘

यमुना किनारे रिवर फ्रंट बनाने के वादे पर दीवान कहते हैं, ‘रिवर फ्रंट बनाना बहुत बुरा आइडिया है। यमुना के डूब क्षेत्र में पहले से ही कई कंस्ट्रक्शन हैं। अक्षरधाम मंदिर, शास्त्री पार्क डिपो, समाधियां, पावर स्टेशन और इस तरह के कई कंस्ट्रक्शन हैं।‘
‘नदी का जो डूब क्षेत्र (फ्लड प्लेन) होता है, वो मानसून के समय पानी रिचार्ज करता है। ऑफ सीजन में यही पानी नदी में जाता है, तो नदी जिंदा रहती है। अगर आप इसे खत्म करके रिवर फ्रंट बना देंगे, तो नदी के अस्तित्व पर सवाल उठता है।‘
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बोतल में टॉयलेट करने को मजबूर लोको-पायलट

इंडियन रेलवे के लोको पायलट लंबे अरसे से ड्यूटी के दौरान टॉयलेट और खाना खाने के लिए ब्रेक मांग रहे हैं। झारखंड की राजधानी रांची में तो वे 4 अप्रैल से हड़ताल पर हैं। रेलवे बोर्ड ने 4 अप्रैल को सभी जोनल मैनेजर को कमेटी की सिफारिशें लागू करवाने के लिए लेटर लिखा है। लेटर सामने आते ही लोको पायलट नाराज हो गए। दैनिक भास्कर ने इस मसले पर अलग-अलग डिवीजन के लोको पायलट से बात कर उनकी परेशानी समझी। पढ़िए पूरी रिपोर्ट…